इस कविता में हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने ऊँचे कुल में जन्म लेने का घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि मनुष्य का वंश नहीं बल्कि उसके कर्म उसे संसार में प्रसिद्धि दिलाते हैं।
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का जन्म उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ ज़िले के निज़ामाबाद में 1865 ई० में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा घर पर ही हुई जहाँ उन्होंने उर्दू, संस्कृत, फ़ारसी, बांग्ला और अंग्रेज़ी भाषा और साहित्य का अध्ययन किया था। उनके कार्य-जीवन क