shabd-logo

गांधी का भारत या गोडसे का भारत

27 सितम्बर 2016

254 बार देखा गया 254

दिनांक19मई2012



आजकल देश में चर्चाओ का एक दौर है जिसमे गांधी की जम के बुराई हो रही है , उन्हें आज देश की सारी समस्याओं की जड़ के रूप में देखा जाने लगा है , तथ्य भी है , साक्ष्य भी जुटाए जा रहे है , सूचना के अधिकार का प्रयोग भी हो रहा है , पर प्रश्न यह है की इस सबसे क्या होगा ??


क्या गांधी को कोसने से पाकिस्तान का भारत में पुनार्विलय हो जायेगा , या फिर तथाकथित सेकुलर लोगो की मानसिकता में बदलाव आ जायेगा , नहीं आज भारत की विश्व में आर्थिक सामरिक जैसी भी पहचान है , पर राजनीति क पहचान मोहन दास करम चंद गांधी ही है , अमेरिका . अफ्रीका यूरोप के तमाम देश उस सत्य और अहिंसा की क्रान्ति को ही कीर्तिस्तम्भ मानते है और जब इन देशो में कोई भारतीय पहुँचता है तो महात्मा गांधी ही वह राजनीतिक नाम है जिसके देश का उसे माना जाता है नहीं तो लोग शाहरुख खान , अमिताभ को ही जानते है


भले ही भारत में कदम कदम पर , गली गली में , हर कार्यालय में और हर भ्रष्टाचार का साक्षी आज महात्मा गांधी हो पर विश्व में उसकी पहचान उस सशक्त व्यतित्व के रूप में है जिसने विश्व के शक्तिशाली साम्राज्य को बिना कोई शस्त्र उठाये हिला के रख दिया


आज हिंदुत्व की विचारधारा के समर्थक लोग अनेको प्रकार से यह सिद्ध करना चाहते है की आज जो भी दशा है उसके पीछे गांधी ही एक मात्र दोषी है पर हम यह भूल रहे हैं की ये सभी संस्थाए आज के समाज में अच्छी छवि नहीं रखती , कारण चाहे जो भी हो ,


उदाहरण के तौर पे भगत सिंह के आंदोलन से जुड़ने से पहले भी राष्ट्र में क्रांतिकारी थे पर उनकी छवि आतंकवादी के तौर पे अधिक थी , भगत सिंह ने जागरूकता अभियान चलाकर क्रान्ति को देश की जनता से जोड़ा और यह स्पष्ट किया की उनकी क्रान्ति का उद्देश्य कौमी एकता , पूर्ण स्वराज्य है तब उनके आंदोलन को ना केवल व्यापक जनाधार मिला बल्कि स्वतन्त्रता आंदोलन को त्वरित गति भी प्राप्त हुई और उसका व्यापक परिणाम हुआ की स्वतंत्रता शीघ्र प्राप्त हो गयी ,


पर इसका सम्बन्ध आज के भृष्टाचार विरोधी आंदोलन से कैसे है , बिलकुल है , आज गोवंश की हत्या के चित्र दिखाकर , इतिहास में गांधी के हिंदू विरोधी निर्णयों के आकडे गिना कर जनाधार तैयार नहीं किया जा सकता , हिन्दुस्थान की प्रगति के लिए हिंदुत्व की उन्नति अत्यावश्यक है , उसके लिए हिंदुत्व की रक्षा के लिए अपने को स्थापित करने वाली संस्थाओं को जनाधार जुटाना होगा , उन्हें यह स्पष्ट करना होगा उनका उद्देश्य भी धार्मिक साम्य ही है , वे भी भृष्टाचार विरोधी है , केवल कांग्रेस या गांधी विरोधी नहीं स्वयं को प्रगतिवादी सोच का भी सिद्ध करना होगा , एक बार जनाधार जुट गया क्रान्ति की सफलता दूर नहीं रहेगी फिर चाहे यह गोडसे का भारत बने या गांधी का भारत , हमारे सपनो का होगा जिसमे सभी लोग प्रगति करेंगे !


धन्यवाद -शैलेन्द्र दीक्षित

शैलेन्द्र दीक्षित की अन्य किताबें

1

भारत के विकास का कार्य प्रगति पर है पर रूकावट के लिए खेद है

27 सितम्बर 2016
0
1
0

दिनांक28अप्रैल2015 एक वर्ष पहले इस देश में एक ऐतिहासिक परिवर्तन हुआ , जब १६वीं लोकसभा का चयन हुआ ,एक नयी सरकार चयनित हुई और देश में एक विचित्र लहर और ऊर्जा का संचार हुआ , घोटालों की चली आ रही एक सतत श्रखंला को फिलहाल एक विराम लगा , लोगों ने कुछ स्वप्न देखे , एक मूक कार्यालय में मानो प्राण संचारि

2

गांधी का भारत या गोडसे का भारत

27 सितम्बर 2016
0
1
0

दिनांक19मई2012 आजकल देश में चर्चाओ का एक दौर है जिसमे गांधी की जम के बुराई हो रही है , उन्हें आज देश की सारी समस्याओं की जड़ के रूप में देखा जाने लगा है , तथ्य भी है , साक्ष्य भी जुटाए जा रहे है , सूचना के अधिकार का प्रयोग भी हो रहा है , पर प्रश्न यह है की इस सबसे क्या

3

आस्था या अंध आस्था

7 अक्टूबर 2016
0
4
1

भारत का ज्ञान , संस्कृति, आध्यात्म , दर्शन और ऐतिहासिक विरासत आरम्भ से ही विश्व के लिए आकर्षण का कारण बनी रही है . प्रागैतिहासिक वैभव , ऐतिहासिक परिवर्तन , मध्य युगीन आक्रमण और आधुनिक वैज्ञानिक युग में भारत ने विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखी है , वैदिक समय का सामाजिक उत्क

4

रावण के महिमांडन का खंडन

11 अक्टूबर 2016
1
1
0

रावण के महिमामंडन का खंडन आजकल सोशल मिडिया पर एक चलन बहुत तेजी से चल पड़ा है , रावण के बखान..!! वो एक प्रकांड पंडित था जी....उसने माता सीता को कभी छुआ नहीं जी....अपनी बहन के अपमान के लिये पूरा कुल दाव पर लगा दिया जी.....!!!मेरे कुछ मित्र ब्राह्मण होने के कारण

5

अपना मन

12 जुलाई 2018
0
0
0

मैंने सागर की लहरों को जम कर बिखरते देखा है।उन टूटी बिखरी लहरों को फिर से पिघलते देखा है।।फिर पिघल पिघल कर ये पानी सागर में मिल जाता हैवापस लहरों का रूप लियेफिर हुंकार लगाता हैतपता और ठिठुरता हैउड़ता और ठहरता हैबरसता और मचलता हैजैसे अपना चंचल मन!!✍*कप्तान शैलेंद्र दीक्षित*2000 बैच

6

पाॅलीथीन पर प्रतिबंध

18 जुलाई 2018
0
0
0

हमारे बचपन और उससे थोड़ा पहले प्लास्टिक घरों की आदत नहीं था।प्लास्टिक स्वयं एक विकल्प था! कागज,कपड़े, काँच, मिट्टी एवं धातु की वस्तुओं का! और ये विकल्प कहीं चले नहीं गये।बस हमारे जैसे थोड़े बहुत सक्षम लोगों ने इनकी माँग घटा दी है इसलिये आपूर्ति प्रभावित है।भंडारण के लिये धातु, मिट्टी या काँच के पात्र ल

7

काकोरी क्रांति की वर्षगाँठ

9 अगस्त 2018
0
0
0

9 अगस्त यह तिथि इतिहास में कई कारणों से महत्वपूर्ण है।सन् 1942 में यह अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन का पहला दिन था, तो सन् 1945 में यह तिथि जापान के महानगर नागासाकी पर प्रलयाग्नि बन कर बरसी थी।द्वितीय विश्व युद्ध ने यूरोपीय देशों की कमर तोड़ दी और वो धीरे धीरे अपने उपनिवेशों से पलायन करने लगे। इस प्रका

8

संस्मरण:- माता प्रथम गुरु/ हांगकांग यात्रा वर्ष 2018

27 अगस्त 2018
0
0
0

हांगकांग यात्रा वैसे तो ज्यादा आनंददायक नहीं रही, फिर भी हर यात्रा कुछ न कुछ सिखा ही देती है।ऐसा ही कुछ इस यात्रा में भी हुआ।सोमवार का दिन था, मौसम में नमी थी, गहरे काले बादल घिरे हुये थे और हम तय कार्यक्रम के अनुसार “डिजनीलैंड” के लिये निकले थे। यह स्थान बच्चों के लिये विशेष महत्व का है,उनके मनोरं

9

शब्द जो बदनाम हो गये भाग 1

8 सितम्बर 2018
0
0
0

विश्व की प्राचीनतम एवं समृद्ध भाषा संस्कृत के बहुत से शब्द आज भारतीय समाज में बदनाम कर दिये गये हैं।यह श्रंखला संस्कृत शब्दों की हो रही इस दुर्दशा को सबके समक्ष लाने और उन शब्दों को सम्मान दिलाने का एक छोटा सा प्रयास है। आज के समय में बुद्धिजीवियों द्वारा सर्वाधिक तिरस्कृत एक शब्द अक्सर सुनाई देता

10

भारतीय मानक समय और ट्रैफिक

25 जुलाई 2019
0
0
0

हम सभी ने प्रायः यह वाक्यांश सुना होगा - "भारतीय मानक समय" या फिर अंग्रेजी में #IndianStandardTime इसका प्रयोग अक्सर देरी से पहुँचने वाले लोग मुस्कराकर अपनी देर से आने की शर्म को ढांकने के लिये करते हैं।पर जब सड़क पर चलिये - तो ऐसा लगता है कि सबको समय की बड़ी कीमत है।पैदल चलने वाला , चलती गाड़ियों

11

चंद्रयान 2 के चंद्रावतरण की वह रात

9 सितम्बर 2019
0
0
0

शुक्रवार 06 September की रात, शनिवार 07 September की सुबह, "इसरो" केंद्र बैंगलौर, चंद्रयान 2, विक्रम लैंडर , के. सिवान या फिर नरेंद्रमोदी अपनी पसंद का शीर्षक चुन लीजिये।मैं जो लिखने जा रहा हूँ, उसकी विषय वस्तु इन शीर्षकों के इर्द गिर्द है, या यूँ कहिये, बस एक ऐसी गड्डमड्ड खिचड़ी है जिसमें इनमें से क

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए