⚘ग़रूर तोड़ा था मैंने जिसका कभी
सोचता था वो शहनशाह है कोई ,
⚘नज़रो से गिरा है ज़माने की ऐसे
रेज़ा रेज़ा उसका बिखरा है अभी,
⚘हर टुकड़ा ही मुँह चिढ़ाता है उसे
आइना है सच दिखाता है उसे ।
⚘सय्यदा-----✒
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