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सीख

2 सितम्बर 2021

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मुसल्सल आंसुओं से भीगी हुई आंखों से हंसना सीख ।

गिर के बिखर गया तो क्या फिर से उठ और चलना सीख ।

रगो में खून बन कर बहता था एक शख्स तो फिर क्या

छूटा जो उसका साथ तो  फिर से संभलना सीख ।

गम-ए-दुनिया के किस्से और भी हैं सिवाए एक मोहब्बत के

भुला अब चांदनी रातें और सूरज की तरह जलना सीख ।

तेरी पेशानी पर जो एक सितारा सा चमकता है

मां का प्यार है ये,  तू भी ये आदाबे वफा सीख।

सुनसान है दिल की हवेली , चाप कदमों की नहीं

चाहता है प्यार पाना तो जरा अपने लहज़े को नर्म करना सीख ।

माना की रात है अंधेरी , मगर दूर एक दिया जो जलता है

उसकी रौशनी को देखता जा और मंजिल तक बढ़ना सीख।

"आफरीन" है तेरे खुशरंग से चेहरे की चमक  मगर

अक्लमंदी यही है कि तू किरदार से भी संवरना सीख।

Written by Afreen Mansuri .

Afreen mansuri यानी मैं 😜😜😂😂😂

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