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ग़ज़ल

8 अप्रैल 2022

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ख़ुदा से दुआ में बफा माँगता हूँ

मिले ना उसे ग़म दुआ माँगता हूँ

मुझे छोड़ कर जो यहाँ से गया है

मगर में उसी का पता माँगता हूँ

हमारी खता थी सताया सनम को

खताओं कि अपनी सज़ा माँगता हूँ

निगाहें पलक को झुकाती नही है

इसी के लिए में हया माँगता हूँ

ग़मों की हटा जो घटा दे यहाँ से

खुशी की यहाँ बो हवा माँगता हूँLove 

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SDR GAZAL
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