हिंदी फिल्मों के जाने-माने हरदिलअज़ीज़ गीतकार आनंद बक्शी का जन्म 21 जुलाई 1930 को पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर (तत्कालीन
अविभाजित भारत देश) में हुआ था| 10 वर्ष की आयु में ही इनकी माँ
सुमित्रा के देहावसान के बाद इनका परिवार जब यह 17 वर्ष के थे लखनऊ आ गया और यहाँ से दिल्ली जाकर वहीं बस गया| उल्लेखनीय है कि भगवान
दादा के अभिनय से सजी 1958 की फिल्म भला आदमी से हिंदी फिल्म
इंडस्ट्री में बतौर गीतकार आनंद बक्शी के सफ़र की शुरुआत हुई| लेकिन इन्हें मुक्कमल
पहचान मिली 1965 की फिल्म जब जब फूल खिले| उसके बाद
की फिल्मों फ़र्ज़, मिलन, राजा और रंक, आराधना, आया सावन झूम के, दो रास्ते, जीने की
राह, आन मिलो सजना, गीत, जीवन मृत्यु, कटी पतंग, खिलौना, आप आये बहार आई, अमर
प्रेम, दुश्मन, हाथी मेरे साथी, मर्यादा, महबूब की मेहँदी, मेरा गांव मेरा देश,
संजोग, अनुराग, गोरा और काला, मोम की गुड़िया, पिया का घर, रास्ते का पत्थर, सीता
और गीता, बॉबी, लोफर, आप की कसम, अजनबी, प्रेम नगर, चुपके चुपके, जूली, शोले, चरस,
अमर अकबर एन्थोनी, अनुरोध, अपनापन, एक दूजे के लिए, धरमवीर, ड्रीम गर्ल, मै तुलसी
तेरे आँगन की, सत्यम शिवम सुन्दरम, मिस्टर नटवरलाल, सरगम, सुहाग, आशा, अब्दुल्ला,
दोस्ताना, जुदाई, क़र्ज़, मांग भरो सजना, लव स्टोरी, नसीब, राकी, बेमिसाल, विधाता,
अर्पण, अवतार, बेताब, कुली, हीरो, वो सात दिन, घर एक मंदिर, अलग अलग, मेरी जंग,
आख़िरी रास्ता, आप के साथ, अमृत, कर्मा, नाचे मयूरी, नाम, नगीना, सदा सुहागन,
स्वर्ग से सुन्दर, बीस साल बाद, शहंशाह, चालबाज़, चांदनी, निगाहें, राम लखन, त्रिदेव,
आवारगी, अम्बा, अमीरी गरीबी, दूध का क़र्ज़, पति पत्नी और तवायफ, शेषनाग, बंजारन,
हम, लम्हे, सौदागर, अपराधी, डर, खलनायक, साहिबा, तुम करो वादा, मोहरा, दिलवाले
दुल्हनियां ले जायेंगे, तेरे मेरे सपने, अफलातून, दिल तो पागल है, गुप्त, परदेस,
जब प्यार किसी से होता है, आरजू, कच्चे धागे, ताल, यादें, मोहब्बतें, हद कर दी
आपने, प्यार इश्क़ मुहब्बत, नायक, ग़दर, चोरी चोरी, मुझसे दोस्ती करोगे, साया, आपको
पहले भी कहीं देखा है इत्यादि के लिए आनंद बक्शी साहब ने बेहद हिट एवं यादगार गीत
लिखे| ज्ञातव्य है कि बक्शी जी ने मोम की गुड़िया फिल्म का बागों में बहार आई जैसा
हिट गीत पूरा और चरस फिल्म का हिट गीत आजा तेरी याद आई का मुखड़ा भी लता दी के साथ
गाया| गौरतलब है कि फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए सबसे अधिक 40 नामांकन
का रिकॉर्ड आनंद बक्शी जी के ही नाम है जिन्हें 4 बार इस अवार्ड में जीत मिली है
इन गीतों के लिए: आदमी मुसाफिर है (फिल्म: अपनापन), तेरे मेरे बीच में
(फिल्म:एक दूजे के लिए), तुझे देखा तो ये जाना सनम (फिल्म: दिलवाले दुल्हनियां ले जायेंगे), इश्क़ बिना क्या जीना
यारा (फिल्म:ताल)| 30 मार्च 2002 को मुंबई में इस महान गीतकार का स्वर्गवास हो गया| लेकिन आनंद
बक्शी जी अपने सदाबहार एवं यादगार गीतों के जरिये हमारे दिलों में सदा जीते रहेंगे,
अमर रहेंगे| आज आनंद बक्शी जी की पुण्यतिथि पर हमारी ओर से उन्हें भावभीनी
आदरांजलि!!!