घर एक बगीचा होता पिता
होते विशाल वटवृक्ष समान मां होती उसकी छांव भाई बहन होती शाखाएं यही होता है
हमारा प्यारा सा घर संसार
मां की ममता बड़ी ही प्यारी होती सारे जग से न्यारी ,,
पापा के प्यार का कोई मोल नही होता सारे जग में
अनोखा..
मां की ममता होती अमृत
समान पी लो तो मिल जाता है जीवनदान होता है
दोनों का प्यार अनोखा दोनों का स्थान होता ईश्वर के जैसा ,,
जिस पर होता माता-पिता
का आशीर्वाद उसके लिए
होता है ये सबसे मंहगा ताज..
माता-पिता बिन होती है दुनियां सूनी जलती हो जैसे
कोई ज्वाला की धूनी..
मां होती करुणा की धारा
पिता होते हैं जीने का सहारा..
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मुंबई (महाराष्ट्र )
स्वैच्छिक स्वरचित
सरिता मिश्रा पाठक" Kavyansha