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"गीतिका”भोर

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छंद- लीला, समांत- इया अपदांत विधान- २४ मात्रा के इस छंद में १४ १० पर यति तथा पदांत में सगण (११२) का विधान है"गीतिका”भोर हुई निकलो साजन महके री बगिया हाथ पाँव भी झटकारो आलस क्यों खटिया बहुत रात्रि तक जागते नाक रोज बजती सोते हो तुम देर तलक खेंच अब चदरिया॥बिन हर्रे बिना फिटक

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