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abhay

अभय शुक्ल

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पुस्तक के भाग

1

बहस के बहाने

6 फरवरी 2015
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राम -राम भईया बड़ी भगदड़ मची है दिल्ली के चुनाव में. हर कोई सत्ता के लिए ऐसे लड़ रहा है जैसे लड़ाई होने जा रही हो. हर कोई इस युद्ध में अपनी शिरकत अपने अपने तरीके से कर रहा है. हर किसी के तरकश में तीरो की कमी नहीं है पर भाई इस तरह से चुनाव लड़ना भी किसी को सोभा नहीं देता. अश्लील बाते , भद्दी भाषा

2

तन्हाई

12 अक्टूबर 2015
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दरवाजे पर अक्सर होती है दस्तकपर नहीं दिखता है कोई बाहरयूँ तो कटी है तमाम उम्रहमने तन्हाई में ,पर न जाने क्यूँअब तनहाइयों से डर लगता हैअक्सर सर्द रातों में सोंचता हूँकोई होता तो बाँट लेता इन ठंडी रातों को,और ओढ़ लेता जिस्म को बना चादरशायद वो ,जो याद दिलाताकी घर जल्दी आना .बनायीं हुई एक प्याली चाय सेउ

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