जिन्दगी सफल होती है ज़िंदादिली से, हरदिल अज़ीज़ होती है अपनेपन से।अपने ही तो बुनते है तानाबाना ज़िन्दगी का,अपनों से ही बनता है आशियाना जिंदगी का।कब से मै तलाशता फिर रहा अपनों को,कोशिश कर रहा रंगों से भरने की, इस वीरान जिंदगी को।आज मै बहुत खु
गुले- काग़ज़ी से ना यूँ बहला दिल मेरा, हम तो गुले- नाशिगुफ्ता के दीवाने है. आलमे ख़्याल ना दिखा यूँ हमको, मेरा आशियाना तो आलमे शुहूद में है. (आलिम)