कोविड की तानाशाहीहम कहते हैं बुरा न मानोमुँह को छिपाना जरूरी हैअपनेपन में गले न लगाओदूरियाँ बनाना जरूरी हैकोरोना महामारी तोएक भयंकर बीमारी हैकहने को तो वायरस हैपर छुआछूत बीमारी हैहट्टे कट्टे इंसानों पर भी एक अकेला भारी हैआँख मुँह और नाक कान सेकरता छापेमारी हैएक पखवाड़े के भीतर हीअपना जादू चलाता हैकोर
वक्त अच्छा हो तो….कोरोना काल में अंतर्मन ने पूछा -इस दुनिया में तुम्हारा अपना कौन है..?सवाल सुनते हीएक विचार मन में कौंधामाँ-बाप, भाई-बहन, पत्नी…बेटा - बेटी या फिर मित्र..किसे कहूँ अपना..?यदि वक़्त अच्छा हो तोजो अदृश्य हैसर्वशक्तिमान हैसर्वव्यापी हैवो भी अपना है तब सब कुछ ठीक है।वक़्त अच्छा हो तोमाँ-ब