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Hindipoetrylove

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ये जो लोग मेरी मौत पर आजचर्चा फरमा रहे हैंऊपर से अफ़सोस जदा हैंपर अन्दर से सिर्फ एक रस्मनिभा रहे हैंमैं क्यों मरा कैसे मराक्या रहा कारन मरने कापूछ पूछ के बेवजह की फिक्रजता रहे हैंमैं अभी जिंदा हो जाऊँतो कितने मेरे साथ बैठेंगेवो जो मेरे र

ज़िन्दगी एक शतरंज की बिसात सी चलती रहीकिसी के शह पे किसी की मात होती रहीबिछा रखे थे एहसासों के मोहरेंएक राजा को बचाने के लिएऔर एक एक कर केउन मोहरों की ज़िन्दगी कुर्बान होती रहीये खेल बहुत अलग सा हैकोई न जानेकिस की चाल में क्या छिपा हैदिमाग वाले तो जीत गए औरदिलजलों की हार हो

जो चाहूँ वो पाऊँतो कैसा हो?ख्वाब और हक़ीक़त अगर एक सा हो?न कोई खौफ हो दिल में तुमसे बिछड़ने का तू हर लम्हा सिर्फ मेरा हो मैं हर शाम करूँ इंतज़ार तेरा बन संवर के मेरे सिवा तेरा कोई और पता न हो बैठ बगीचे में निहारा करे उन दो फूलों को जिन्हे हमने अपने प्यार से सींचा हो तेरी सिगर

अपने कल की चिंता मेंमैं आज को जीना भूल गयाज़िन्दगी बहुत खूबसूरत हैमैं उसको जीना भूल गयाखूब गवाया मैंने चिंता करकेजो मुझे नहीं मिला उसका गम कर केअपने कल की चिंता मेंमैं अपनी चिंता भूल गयाज़िन्दगी बहुत खूबसूरत हैमैं उसको जीना भूल गयाजब तक मैं आज़ाद बच्चा थामुझे तेरी परवाह

" चिकने घड़े"कुछ भी कह लोकुछ भी कर लोसब तुम पर से जाये फिसलक्योंकि तुम हो चिकने घड़ेबेशर्म बेहया और कहने कोहो रुतबे में बड़ेउफ्फ ये चिकने घड़ेबस दूसरों का ऐब ही देखता तुमकोअपनी खामियां न दिखती तुमकोपता नहीं कैसे आईने के सामने होपाते हो खड़ेक्योंकि तुम हो चिकने घड़ेदूसरों का

जब भी तुम्हें लगे की तुम्हारी परेशानियों का कोई अंत नहींमेरा जीवन भी क्या जीना है जिसमे किसी का संग नहींतो आओ सुनाऊँ तुमको एक छोटी सी घटनाजो नहीं है मेरी कल्पनाउसे सुन तुम अपने जीवन पर कर लेना पुनर्विचारएक दिन मैं मायूस सी चली जा रही थीखाली सड़को पर अपनी नाकामयाबियों क

हाँ ये सच है, कई बार हुआ है प्यार मुझेहर बार उसी शिद्दत से हर बार टूटा और सम्भ्ला उतनी ही दिक्कत से हर बार नया पन लिये आया सावन हर बार उमंगें नयी, उमीदें नयी पर मेरा समर्पण वहीं हर बार वही शिद्दत हर बार वही दिक्कत हाँ ये सच है, कई बार हुआ है प्यार मुझेहर बार सकारात्मक

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