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आतंकवाद

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14  वर्ष पहले 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस दस चरमपंथियों ने मुंबई की दो पाँच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाकर चार दि

आतंकवाद एक ऐसा तत्व है जो जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित कर रहा हैं। आधुनिक समय मे आतंकवाद एक राजनीतिक मुद्दे के साथ-साथ एक कानूनी व सैनिक मुद्दा भी बन गया है। यह देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा भी हैं, किन्तु यह है क्या? आतंकवाद को परिभाषित नहीं किया जा स

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दीनी सियासत का तोड़ क्या है ? श्रीलंका में ताजा बम धमाके डॉ शोभा भारद्वाज दीनी आधार पर की जाने वाली राजनीति की काट दिखाई नहीं देती है ? हर तर्क पर मौलाना अपनेसमाज से प्रश्न करते हैं क्या तुम इस्लाम के दुश्मन हो , दीन के विरुद्ध हो ? याधमकियाँ श्री लंका में ईस्टर के दिन चर्च में इबादत करने आये क्रिश

घबराहट है, डर का साया है आतंकवाद ने घमासान मचाया हैमजहब या कि जिहाद के नाम पर आतंकवाद ने मौत का खेल खिलाया हैआतंकी किस मजहब का ? यह तो मानवता का दुश्मनइसमें बस आतंक समाया है मासूमों की जान से खेलाआतंकी ने सब में डर को है घोलायह ना हिन्दु, ना यह मुस्लिम यह तो ब

मैं कट्टर नहीं हूं स्वयं को भारतीय कहना, मानव कहना कट्टरता नहीं है; अपनी जड़ों से जुड़े रहना; जो समूचे विश्व को एक माने, एक कुटम्ब माने, ऐसी जड़ों से जुड़े रहना कट्टरता नहीं है।

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पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर बार-बार सीजफायर उल्लंघन किए जाने के बाद भारतीय सेना ने एक बार फिर आक्रामक तरीके से अपनी जवाबी कार्रवाई की है। 23 अक्टूबर को पुंछ जिले से सटी एलओसी पर पाकिस्तान द्वारा गोलाबारी किए जाने के बाद, सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के अंदाज में ही नियंत्रण रेखा से सटे पाकिस्तानी सेना क

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आतंकवाद सम्‍पूर्ण विश्‍व की सबसे बडी समस्‍या है, इससे निपटने के लिए दुनिया के लगभग सभी देश प्रयासरत है और इसको जड से खत्‍म करने के लिए दिनों

आर्थिक विशेषज्ञो की माने, तो ब्रिक्स देशों की आतंरिक व आर्थिक स्थिति के आधार पर भारत की स्थिति हर दृष्टिकोण से वर्तमान में सबल नज़र आती है। उसके साथ भारत वर्तमान दौर की विश्व व्यवस्था में सबसे मजबूत जनाधार की लोकतांत्रिक सरकार है। साथ-साथ अगर अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत तेज़ी से बढ़ रहा है, तो विश्

हकीकत यह है कि आज पूरा देश गुस्से में हैं कि सिर्फ चार आंतकवादी पडौस से आकर हमारे सत्रह जवानों को मारकर चले गये और हमारी सरकार हमेशा की तरह सिर्फ और सिर्फ निंदा करके वही पहली बाते दोहरा कर रह गई. जम्मू-कश्मीर में सेना की एक बटालियन के मुख्

हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि उन्हें ख़ुद पता ही नहीं था कि वह कितने शक्तिशाली हैं और क्या कर सकते हैं, लिहाजा, अपने आपको वह साधारण वानर समझते थे। जब जामवंत ने उन्हें याद दिलाया कि वह तो सूर्य जैसे आग के प्रचंड गोले वाले देवता को बचपन में ही निगल गए थे, तब हनुमानजी को अहसास हुआ कि वाक़ई उनके

         जबअकर्मण्यता को छिपाकर जीवन जीने के लिए आवश्यक संसाधनों को सच्चाई और पुरुषार्थ सेजुटाने की बजाय हिंसा से छीन लिया जाता हैए चोरी कही जाती है । इससे चोर घर कीशून्यता को तो ख़त्म कर लेता है किन्तु चुरायी गयी कुछ महान सम्पत्तियों को डर याज्ञान के अभाव में नष्ट कर देता है अथवा उन्हें विकृत कर दे

जुल्म तो हमारी सेना पर हो रहा है "गर फ़िरदौस बर रुए ज़मीं अस्त,हमीं अस्त,हमीं अस्त,हमीं अस्त ।"  --फारसी में मुगल बादशाह जहाँगीर के शब्द ! कहने की आवश्यकता नहीं कि इन शब्दों का उपयोग किसके लिए किया गयाहै --जी हाँ कश्मीर की ही बात हो रही है । लेकिन धरती का स्वर्ग कहा जाने वालायह स्थान आज  सुलग रहा है ।

कौन थमा रहा है हाथों में बंदूकेंपठानकोट एयर बेस हमला, फ्रांस , तुर्की,पाकिस्तान ,इज़रायल ,ईराक ,सुमोलिया पैरिस ,और अब बांग्लादेश ----। दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जो आतंकवाद के जख़्मों से स्वयं को बचा पाया हो। अभी बांग्लादेश में एक सप्ताह के भीतर दो आतंकवादी हमले -- एक ईद की नमाज़ के दौरान और उस

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