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चीन

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शी जिंगपिंग ( चीन के राष्ट्रपति ) विश्व एक बाजार नहीं है डॉ शोभा भारद्वाज जरूरत है आने वाली जेनरेशन में चीनी सामान के विरोध की भावना जगनी चाहिए |.“चीन ने भारत का इतिहास नहीं पढ़ा हमने विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी अपने चरखे और हथकरघे का मोटा कपड़ा गर्व से पहन

चीन ईरान के बढ़ते सम्बन्ध , कारण ट्रम्प सरकार द्वारा लगाये आर्थिक प्रतिबन्ध डॉ शोभा भारद्वाज क्रूड आयल काला सोना एवं गैस का भंडार होने के बाद भी आर्थिक मोर्चे पर ईरान पिछड़ता चला गया देश में पूरी तरह सस्ते राशन की व्यवस्था की गयी आवश्यकता का सामान कार्ड पर शिरकतों ( स

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चीन मोदी के संकेतों को समझ जाये तो ठीक!यह मानना बेमानी होगी कि चीन के रवैये में कोई बदलाव होगा. यह बात उसी समय साबित हो चुकी थी जब चीन के उस समय के राष्ट्राध्यक्ष ने भारत आकर हिन्दी-चीनी भाई भाई का नारा दिया था तथा चीन लौटने के तुरन्त बाद भारत पर हमला कर दिया था. चीन की मक्कारी ही उसकी कूटनीती है जो

आपदा अवसर बन गया।किसने अपने ज्ञान से बनाया वायरस को इस जहाँ में?मालूम न था उसे यह वायरस मौत का सौदगर बन जाएगा।उसे यह भी मालूम न था कि इंसान, इंसान से डर जाएगा।कर बैठा वह इतनी बड़ी भूल, की सुपरपावर भी थर्राएगा।हो रही छानबीन इस वायरस की कौन सी? दवा इसे तोड़ पाएगी।लगे है दुनिया भर के वैज्ञानिक इस ज्ञान क

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🔥⚜🔥⚜🔥⚜🔥⚜🌸⚜🔥 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🏹 *अर्जुन के तीर* 🏹🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹 *इस संसार में मनुष्य को दूसरों का दुख एवं कष्ट तब तक नहीं दिखाई पड़ता है जब तक वह स्वयं उस कष्ट एवं दुख का सामना नहीं करता है | जो संतानें अपने माता पिता का अनादर करके मनमाना क

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महाबली पुरम में दो प्राचीनसंस्कृतियों का मिलन आपसी रिश्तों की मजबूत कड़ी साबित होगा ? डॉ शोभा भारद्वाज तमिलनाडू की राजधानी चेन्नई से 60किलोमीटर दूर महाबलीपुरम प्राचीन ऐतिहासिक शहरों में से एक ,बंगाल की खाड़ी केकिनारे स्थित प्राचीन बन्दरगाह था |सातवीं सदी में इसकी स्थापना पल्लव वंश के शक्तिशाली राजा

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https://duniaabhiabhi.com/now-new-preparations-in-front-of-china-2041-2/

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क्या चीन का वीटो भारत की कूटनीतिक हार थी डॉ शोभा भारद्वाज फ़्रांस अमेरिका एवं ब्रिटेन ने 27 फरवरी को सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर चीन ने वीटो के अधिकार का प्रयोग किया | अमेरिका फ्रांस एवं ब्रिटेन द्वारा क्षुब्ध होकर जैश के प्रमुख मसूद अजहर को फिर से अंतर्राष्

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पीटीआई ने गुरुवार को सूचना दी की,भारत और चीन ने रक्षा एक्सचेंजों और सहयोग पर समझौता करने के एक नए द्विपक्षीय ज्ञापन का मसौदा तैयार करने पर सहमति व्यक्त की है और दोकलम जैसे स्टैंडऑफ से बचने के लिए अपने सेनाओं के बीच बातचीत में वृद्धि की

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1962... कोई भी भारतीय चाहकर भी ये साल और इससे जुड़ी घटना नहीं भूल सकता.1962 यानी कि युद्ध. भारत-चीन युद्ध, जिसे Sino-Indian War भी कहा जाता है. वो युद्ध जो टल सकता था, अगर रक्षा मंत्री वी.के.मेनन लेफ्टिनेंट जनरल थोराट की युद्ध होने की आशंका वाली बात को नज़रअंदाज़ न करते.

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चीन के साथ लड़ाई में भारत क्यों हारा? क्या इसके पीछे नेहरू और उनके कुछ ‘करीबियों’ का ‘करेक्टर’ जिम्मेदार था? क्या नेहरू के रक्षा मंत्री रहे वी के मेनन ‘केरेक्टर’ के ढीले थे? क्या इन लोगों की अय्याशी भारत को भारी पड़ी? क्या इन्होंने अपनी अय्याशी के कारण भारत को हरवा दिया?

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ये ऊपर तस्वीर में कुछ कंपनियों के लोगो हैये तमाम कम्पनियाँ चीन की कम्पनियाँ है और भारत में मोबाइल बेचने का धंधा कर रही हैये कम्पनियाँ हैलिनोवो, जीयोनी, LETV, Xiaomi, ओप्पो, वीवो, वन प्लस, कूलपैड इत्यादिये तमाम कंपनिया भारत में रोजाना हज़ारो और लाखों की संख्या में मोबाइल और

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दोनों शब्दों का इन दिनों खूब तालमेल नज़र आ रहा है. मीडिया से लेकर सोशल मीडिया और भारत से लेकर चीन तक इस उहापोह पर कड़ी नज़र भी रखी जा रही है. इस बात में रत्ती भर भी संदेह नहीं होना चाहिए कि वगैर राष्ट्रीय भावना के कोई राष्ट्र लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता और हमारे त्यौहार निश्चित रूप से लोगों को सामाज

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व्यापार के सहारे आर्थिक शक्ति बनता चीन आज पूरे देश में चीनी माल को प्रतिबंधित करने की मांग जोर शोर से उठ रही है। भारतीय जनमानस का एक वर्ग चीनी माल न खरीदने को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने में लगा है वहीं दूसरी ओर समाज के दूसरे वर्ग का कहना है कि यह कार्य भारत सरकार का है । जब सरकार चीन से नए अर्थि

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प्रिय रवीश जी , आपका चीनी माल खरीदने का आग्रह करता आलेख पढ़ा तो कुछ विचार मेरे मन में भी उत्पन्न हुए सोचा पूछ लूँ । जिन लोगों को आप सम्बोधित कर रहे हैं उनके पास तो स्वयं आप ही के शब्दों में "खबरों का कूड़ेदान " यानी अखबार और चैनल देखने का वक्त ही नहीं होता और न ही फेसबुक औ

किताब पढ़िए