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डर

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डरावनी रातजाड़े के महीने की उस भयंकर रात को भी मेरे सिर के ललाट पर पसीने की मोती जैसी बूँदें बरस रही थी। नहीं! वह पसीने की बूंदें गर्मी की वजह से नहीं बल्कि डर की वजह से था। मेरा नाम धरमा है, दिसंबर म

'मां मुझे कोख मे ही रहने दो'डरती हूं बाहर आने से ,मां मुझे कोख मे ही रहने दो।पग - पग राक्षसीं गिद्ध बैठे हैं,मां मुझे कोख में ही मरने दो।कदम पड़ा धरती पर जैसे,मिले मुझे उपहार मे ताने।लोग देने लगे नसीह

दिल्ली के मेंटल हॉस्पिटल में हाल ही में एक नई मरीज एडमिट हुई थी। जिसके पागलपन से पूरा हॉस्पिटल हैरान  था वह खुद को ही चोट पहुंचाती थी वह खुद को ही इंजेक्शन लगा लेती थी या खुद के बाल खिंचती थी और जब तक

एक सामान्य स्वप्न ले कर जीने वाली लड़की।एक मध्यमवर्गीय परिवार की बेटी जिसने अभी जीना शुरू भी नहीं किया था कि जला कर मार दी गयी। क्यों ? क्योंकि किसी राक्षस का दिल आ गया था उसपर !उसे बीवी बना कर अपनी झ

एक नगर के बाहर एक हाईवे था  जो कई किलोमीटर लंबा जंगली रास्ते से गुजरता था कई लोगों का यह मानना था वहां पर एक औरत को देखा गया जो वहां से आने जाने वाले लोगों को रोकती थी और उनसे मदद मांगा करती थी। एक ब

वही दूसरी और अपनी योजना के अनुसार विजयभान अपने बड़े भाई सूरजभान की हवेली में जाता है. सूरजभान - कैसे आना हुआ आज. विजयभान - भैया मै आपसे सहायता मांगने आया हु, कृपया मेरी मदद करे, मै गाओ में एक अस्पताल ख

गांव में ५ हत्या, बलात्कार और लूट होने के बाद पुलिस जोर शोर से पहलवान को ढूंढ़ने लगी थी, रुद्रदेव गुरु के आश्रम का नाम पहलवान के संरक्षण स्थल के रूप में देखा जाने लगा था, लेकिन पूरी तलाश के बाद भी पहलव

तभी लल्लू भूत चुड़ैल का हाथ पकड़कर कोई मंत्र बुदबुदाता है तभी एक रौशनी का गोला खुलता है, और वो दोनों उस गोले में प्रवेश कर जाते है. उनके पीछे पीछे जम्बूरा चोरी से गोले में जाने लगता है तो कच्चा कलुआ उसे

पहलवान, पण्डित और एक कलुए को खाने के बाद लल्लू की शक्ति बहुत बाद चुकी थी, उसके साथ साथ चुड़ैल भी शक्तिशाली होती जा रही थी. लेकिन लल्लू अभी यही रुकने वाला नहीं था, विजयभान अपनी योजना पूरी करने गाँव गया

शक्तिहीन होने के कारण चुड़ैल गुफा में बंद असहनीय पीड़ा से गुजर रही थी, उसका रोना, चिल्लाना और उसके आंसू को देखने वाला कोई न था, लल्लू लाल भूत ने उसे ऐसे गुनाह की ऐसी भयानक सजा दी थी, जो उसे अपनी सोच, अप

तभी चुड़ैल खतरा भाँप कर अपने असली चुड़ैल का रूप धारण कर लेती है, ८ फ़ीट बड़ी एक दम काला चेहरा बाड़े नुकीले नाख़ून, बड़े खुनी दांत और उसके लहराते लम्बे बाल उसे बहुत भनक रूप देते है, ऐसा रूप आज तक उसने कभी न द

तभी लल्लू चुड़ैल से बोलता है - तू ये सोच रही होगी की मैंने कलुये को क्यों मारा, तो इसका जवाब ये है की वो विजयभान के आगे अपना  मुँह खोलने वाला था, की बजरंगी पहलवान मर् चूका है, हमारा सारा किया कराय

प्रश्न एक था सबका लेकिन, हल सौ हल हार गए रिश्ते नाते सभी थे झूठे, जो आड़े फिर आ गए प्रश्नों की उलझन को अब ना भेदा जाता है हर एक नए प्रश्न से डर अब मुझको लगता है... देख उसे उस चौराहे

गतांक से आगेकनक गला फाड़कर रो रही थी ,"ददू !यही फर्श के नीचे मेरा पार्थिव शरीर गढ़ा है। मुझे मुक्ति दिला दो ददू मेरे सैफ मेरा इंतजार कर रहे हैं।"ठाकुर साहब की आंखों में अविरल आंसू बह रहे थे जाप न

गतांक से आगे…     ठाकुर साहब का आज मन बहुत भारी था कनक की दुःख भरी दास्तां सुनाने के बाद बरबस आंखों से आंसू आये जा रहे थे।आज ठाकुर साहब ने कुल्ला करके नाश्ता भी नहीं किया ।भारी मन

गतांक से आगे.…            जिसका डर था वहीं बात बनी ।छोटी मां और कालू मुझे ऐसे ढूंढ रहे थे जैसे खोजी कुत्ते सुराग़ ढूंढते हैं।कालू ने मुझे पहचान लिया था।वो भुखे शेर की तरह

इसके बाद चुडैल बोली, अब मैं अपनी शक्तियों के बारे में बताती हूं कि मैं क्या कर सकती हूं। मैं किसी भी ओरत का रूप बना सकती हूं, किसी को सम्मोहित करके कुछ भी करवा सकती हूं, अपनी तेज आवाज से किसी को भी मा

गतांक से आगे..  भगवान सिंह के बोलने पर ठाकुर साहब उसकी ओर देखते हुए बोले,"बता भगवाने कै बात है क्यूं तावल मचा रहिया है।"भगवान सिंह ने गनपत की हवेली के कागजात ठाकुर के सामने रखते हुए कहा,"पिताजी ज

गतांक से आगे...  "ददू मेरी तो जान ही निकल गई जब मैंने रमा के मुंह से ये बात सुनी।"कनक की आत्मा पत्ते की तरह कांप रही थी वो पगली क्या जानती थी कि अब क्यों कांप रही है अब तो उस जगह पर थी वह जहां उस

गतांक से आगे.…        मां पिता जी के कमरे में दहाड़ती हुई पहुंची मेरा दिल धड़क धड़क कर रहा था बस यही लग रहा था कि मैंने तो कोई ऐसी" खता" भी नहीं की जो मां ऐसा व्यवहार कर रही है पर

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