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आप यहां फेसबुक ही चलाते रह गए. और उधर पाकिस्तान में कानून की पैंट उतर गई.अपणे को एक पुराना वीडियो हाथ लगा है. पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का. वीडियो में पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान अब्दुल हामिद डोगर नजर आ रहे हैं. साथ ही नजर आ रहे हैं कुछ काले कोट धारी. और एक सिक्योरिटी गार्ड. दोनों में पता है क्या कॉम

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   फिरोजाबाद फिरोजाबाद  अभिव्यक्ति मेरी: चाँद के उजाले में, आँसू के गीत लिखता है ।

गीतिका छंद( 2122 2122 2122 212हे महा माँ सिंह सवारी, शरण अपने लीजिए।मोमुरख को मातु क्षमा दे, चरण रज सुत दीजिए।।मातु माया कनक थारी, मोह ममता चाहना।छूटजाए मोर अवगुन, मनमहक जा साधना।।महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

गीत/नवगीत विशेष, वर्षा ऋतु, श्रावण गीतिका/ग़ज़ल मन भाए मेरे बदरा,भिगा जा मुझे   छाई कारी बादरिया,जगा जा मुझे    मोरी कोरी माहलिया,मुरझाई सनम  रंग दे अपने हि बरना,रंगा जा मुझे॥  काली कोयलिया कुंहुकत,मोरी डाली राग बरखा की मल्हारी,सुना जा मुझे॥मोरा आँगन बरसा जा, रेनिर्मोहिया मोर अनारी की सारी,दिखा जा म

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 सुबह के 10 बजे थे , किस्सा ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था , तभी उसका फ़ोन बजा ... उसके एक दूर के रिश्तेदार रामलाल जी जोकिशायद 89 वसंत देख चुके थेनही रहे थे . और किस्सा को ऑफिस के बजाय वंहा जाना पड़ा .किस्सा जब वंहा पंहुचा तो देखा घर बहार बरमादे से लेकर सड़कतक ” रंगमहल टेंट हॉउस “ से आई लाल रंग की कुर्सिय

फिल्मों के 12 ऐसे संवाद जो आपको कहीं हिम्मत नहीं हारने देंगे और सफलता पाने का जज्बा हमेशा जगाए रखेंगे -; ***1. *3 Idiots*: कामयाबी के पीछे मत भागो, काबिल बनो , कामयाबी तुम्हारे पीछे झक मार कर आएगी.2. *Dhoom 3*:जो काम दुनिया को नामुमकिन लगे, वही मौका होता है करतब दिखाने का.3. *Badmaash Company*:बड़े

मित्रो प्रस्तुत है एक नवगीतसच ही बोलेंगे-------------------हम अभी तक मौन थे अब भेद खोलेंगेसच कहेंगे सच लिखेंगे सच ही बोलेंगेधर्म आडम्बर हमें कमजोर करते हैंजब छले जाते तभी हम शोर करते हैंबेंचकर घोड़े नहीं अब और सोंयेंगेमान्यताओं का यहॉ पर क्षरण होता है घुटन के वातावरण कावरण होता हैऔर कब तक आश में वि

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सजाए मौत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे ना जाने क्यों बो अब हमसे कफ़न उधार दिलाने की बात करते हैं हुए दुनिया से बेगाने हम जिनके इक इशारे पर ना जाने क्यों बो अब हमसे ज़माने की बात करते हैं दर्दे दिल मिला उनसे बो हमको प्यारा ही लगता जख्मो पर बो हमसे अब मरहम लगाने की बात करते हैं हमेशा साथ चलने की

८० के दशक में एक फिल्म आई थी..  लव मैरिज।  किशोर उम्र में देखी गई इस फिल्म के अत्यंत साधारण होने के बावजूद इस फिल्म का मेरे जीवन में विशेष महत्व था। क्योंकि फिल्म के एक दृश्य में चरित्र अभिनेता चंद्रशेखर दुबे मेरे शहर खड़गपुर का नाम लेते हैं। इस फ्लिम के एक सीन से  मेैं कई दिनों तक रोमांचित रहा था। 

हैदर फिल्म याद है , बिलकुल एक तरफ़ा , इसमें डायरेक्टर की स्वतंत्रता से अधिक उसकी उच्छृंखलता नजर आयी थी ! ये बॉलीवुड वाले क्या और क्यों बेचते हैं अब समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है ! खान से लेकर भट्ट कैम्प की मानसिकता जग जाहिर है ! फिल्मों ने हिन्दुस्तान की संस्कृति से लेकर इतिहास को किस हद तक नुक्सान प

प्रिय, तुम भूले,  मैं क्या गाऊँ बस तुमको ही, मैं दोहराऊं .सदियाँ बीती, तुम न आए. क्या कोई पत्थर बन जाए. मना -मना कर हार गई मैं, कैसे आखिर तुम्हे मनाऊं ?प्रिय तुम भूले, मैं क्या गाऊँ तप्त धरा औ नीलगगन है.मन में भी तो नित्य अगन है .तुम आओ तो पड़े फुहारें प्रेम-नीर में डूब नहाऊँ.प्रिय तुम भूले, मैं क्या

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एक कजरी गीत........चित्र अभिव्यक्ति परझूला झूले राधा रानी, संग में कृष्ण कन्हाई ना कदम की डाली, कुंके कोयलिया, बदरी छाई नाझूले गोपी ग्वाल झुलावे, गोकुला की अमराई विहंसे यशुमति नन्द दुवारे, प्रीति परस्पर पाई ना॥गोकुल मथुरा वृन्दावन छैया रास रचाई ना छलिया छोड़ गयो बरसाने, द्वारिका सजाई नामुरली मनोहर रा

यह साल पूरी तरह से सुपरहीरोज के नाम ही रहा , डीसी मार्वल के दो बड़े बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट्स इसी साल रिलीज हुए जिनमे डीसी और मार्वल यूनिवर्स के प्रमुख सुपरहीरोज के टकराव को केन्द्रित किया गया lडीसी की बैटमैन वर्सेज सुपरमैन से जैसी उम्मीद थी वैसी नहीं निकली किन्तु सिविल वॉर उम्मीदों पर बिलकुल खरी उतर

बुझी शम्मा जलाने से क्या होगाकबर पर दीप जलाने से क्या होगालौटकर न आएगी मुमताज ऐ शाहजहांतेरा ताजमहल बनवाने से क्या होगा

आई पतंगों की बेलाहैचहुं ओर पतंगों कारेला हैमौसम नई ख्वाहिशों का हैमाँ-बाप ने करदी ढीली जेबें निकले शौकीन ले बहुरंगीपतंगेंचाइनीज हो या डोरबरेली आई-बो----ओ सुनता रोजबोर हो या संध्या का दौरउड़ा रहे सब मचाकरशोरकेजरीवाल, राहुल याहों मोदीनहीं दिखती इनमें फूटपरस्ती मोहल्ला-मोहल्ला बस्ती-बस्तीउड़ाते इन्हें

दीपक की लौ तले पढ़ने काबारात में पंगत में बैठने कादाँतों से नाखुन चबाने काबागों से अमरुद खाने काबेरियों से बेर तोड़कर लाने कापत्थर मार-मार आम गिराने काबारिश में जामुन तोड़ने जाने का          दौर की कुछ और थास्कूल से फूटकरखेतों में घूमने कारिश्तेदार आने परस्कूल नहीं जाने कारेलिंग वाले खंबे परचढ़ जाने

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कुछ गीत न केवल देखने वरन सुनने में भी मजेदार होते हैं जो आप को गुदगुदा करगुनगुनाने और सराहने पर मजबूर कर जाते हैं | ऐसे ही गीतों में से एक है सन 1968  में रिलीज़ सुनील दत्त, सायरा बानो,महमूद और किशोर कुमार अभिनीत बेहद सफल एवं मजेदार फिल्म “पड़ोसन” का मजेदार गीत “एकचतुर नार”| मन्ना दा, किशोर कुमार और म

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खेलों में आगे आने का यदि कोई अचूक मंत्र है तो वह है ''कैच देम यंगÓÓ जिसका मतलब है छोटी उम्र में ही खेलों में रुचि रखने वाले, स्वस्थ, मजबूत शरीर च इच्छाशक्ति वाले बच्चों को चुनना । स्कूल स्तर से ही उन्हें अच्छे से अच्छा प्रशिक्षण देना, उन्हें सुविधाएं मुहैया कराना, उन्हें अच्छा कैरियर विकल्प व सुरक्ष

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