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गबरू

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नसबंदी अभी भी जरी हैं ठिठुरन से उलझे मुलायम नाज़ुक बाल जिनको सेकने के लिए पूस की सुबह में निकलने वाली नखराली सूरज की धूप अभी बस्ती के सामने खड़े लंबे पतले ऊंचे यूकेलिप्टिस के पेड़ों के पत्तो से झाँक कर गली व सड़क के बहुत कम हिस्से को गर्म करती उसी जगह उनकी बैठक होती सभी एक दूसरे के साथ खेलतें क़िला

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