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“प्रकृति विनाशक आखिर क्यों है?”-आनन्द विश्वासबिस्तर गोल हुआ सर्दी का,अब गर्मी की बारी आई।आसमान से आग बरसती,त्राहिमाम् दुनियाँ चिल्लाई। उफ़ गर्मी, क्या गर्मी ये है,सूरज की हठधर्मी ये है।प्रकृति विनाशक आखिर क्यों है,किस-किस की दुष्कर्मी ये है। इसकी गलती, उसकी गलती,किसको गलत, सही हम

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गृहस्थी का मूल पिता है फादर्स डे के अवसर पर मनीष रामरक्खा द्वारा अपनेस्वर्गीय पापा श्री सुभाष रामरक्खा जी को भावभीनी श्रद्धांजली .कविता में वर्णितसभी गुण उनके पापा में विद्यमान थे .मूल है घर गृहस्थीका ,आकाश सा विस्तार है |रीढ़ बन कर जो खड़ा है,साथ निज परिवार है |हंस जैसी चातुरी है,ज्ञान – गुण धर्

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धरती का दोहन ‘विश्व जल दिवस ‘डॉ शोभा भारद्वाज शीतल निर्मल मीठा जल मन एवं आत्मा दोनों को तृप्त कर देता है चार दिन तक पूर्वी दिल्ली ने पानी की भयंकर किल्लत देखी कारण अंडर ग्राउंड पाईप में लीकेज था आस पास के घरों के अंडरग्राउंड में सीलन आने लगी पाईप की मरम्मत का काम तेजी से चला इस बीच पानी का हा-ह

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जन्नतनशीन आयशा,दुआओं में याद रखना डॉ शोभा भारद्वाज 25 फरवरी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले आयशा साबरमतीकी गोद में समा गयी वह पढ़ी लिखी थी जीना चाहती थी. वह केवल 23 वर्ष की थी .उसकेशौहर आरिफ ने सोचा था वह चुपचाप सदैव के लिए अपने मायके में सो जायेगी लेकिन आयशाने चुपचाप जिन्दगी को अलविदा नहीं कहा अप

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प्रजातंत्र का नयाट्रेंड , धरने, सडकें रोकना, डेरे डाल कर, राजधानी घेरना डॉ शोभा भारद्वाज कृषि कानून किसानोंके हित में है या नहीं यह विचारणीय विषय है लेकिन अनेक नेता अपनी राजनीतिक जमीनतलाशने के चक्कर में किसान नेताओं के साथ दिन में बैठे दिखाई देते हैं बेशकउन्होंने अपने घर गमले में धनिया या बैगन उग

रसीला एक किसान था जो खेती के साथ गाय, मुर्गी और बकरिओं को पालता था | वह एक आम इंसान था जो हर रोज़ आपने खेत के फसलों को देखता | रसीला की महीने की कमाई पूरी तरह से इस्तेमाल हो जाती थी, और बाकि के काम के लिए कुछ बचता नहीं था - उसका हमेशा मन था के एअक बड़ा घर बनाले

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कविता क्या है?सुबह के सूर्य से लेकर, निशा का चाँद है कविताभरे रस छन्द हो जिसमें, वही इक स्वाद है कविताविरह की वेदना संवेदना श्रंगार है कविताभरी जो भावना उर में, वही उद्गार है कवितालिखी जो पन्त दिनकर ने, ह्रदय का प्यार है कविताभरे जो दर्द घावों को, वही उपचार है कविताकड़ी सी धूप में मिलती, वही इक छांव

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‘‘न्यूटन‘‘ क्या भारतीय राजनीति को ‘‘न्यूट्रल‘‘ कर देगें?मैं विज्ञान का छात्र रहा हूं। बचपन में मैंने पढ़ा है कि ‘‘न्यूटन के गति‘‘ के तीसरे नियम के अनुसार ‘‘हर क्रिया के बराबर (समान) और विपरीत प्रतिक्रिया होती है‘‘। प्रसिध्द वैज्ञानिक ‘‘न्यूटन‘‘ ने अपनी पुस्तक ‘‘प्रिंसीपिया मैथमैटिका‘‘ (वर्ष 1687) के

लघुकथाकिरायेदार" भैया ये छह पाईप हैं जो पास की दूकान पर ले चलने हैं , ले चलोगे ? " मैंने ई - रिक्शे वाले को रोककर कहा ।" जी, ले चलेंगे । "" बताओ किराया क्या लोगे ? " " सत्तर रुपए लगेंगे ।"" भैया , पचास लो । सत्तर का काम तो नहीं है । "" ठीक है , पचास दे दीजिएगा ।"" तो फिर लाद लो । "वो अपने काम पर

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क्‍यों नहीं बन पाया रायपुर देश में अव्‍वल?कौन है इसके लिये जिम्‍मेदार!राजधानी को सुधारने के पहले क्‍या नई राजधानी जरूरी थी?एम:ए:जोसेफजब मध्‍यप्रदेश का एक बडा शहर इन्‍दौर और छत्‍तीसगढ में एक छोटा साशहर अंबिकापुर देश में स्‍वच्‍छता का सर्वश्रेष्‍ठ उदाहरण बन सकता है तो इस राज्‍यकी राजधानी रायपुर में क

अँधेरे में है हम - अँधेरे में है हम ,खुदा की रोशनी से दूर है हम बुराई का आतंक फ़ैल रहा है इन्साफ से दूर जा रहे है हम अँधेरे में है हम (2) कब तक इस धुएँसे छुपते रहे हम कभी हमें भी तोह आके इससे गुजरना पड़ेगा अँधेरे में है हम (2) माँ जैसे इस कोमल शब्द

आरम्भ है यह अंत का -अंत की घड़ी है अब ना तुम्हारी ना ही हमारी सब की अंतिम कड़ी है अबजीने के ही नहीं ,मारने के भी अलग अलग ढंग है अब अंत की कड़ी है अब जीवन मरण की अंतिम कड़ी है अब आत्म दान का समय है यही है उचित ,सृष्टि चक्र थमने का समय यही सही यही उचित महा प्रस्थान का

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छत्तीसगढ़ में काजू....है न आश्चर्य की बात!यह आश्चर्य और खुशी की बात है कि दक्षिण के राज्यों का एकाधिकार बने काजू का उत्पादन अब छत्तीसगढ़ में भी होने लगा है और सबसे खुशी की बात तो यह है कि इसका उत्पादन लक्ष्य से तीन गुना ज्यादा हुआ है. हमें इस बात पर गर्व करना चाहिये कि विश्व में सबसे ज्यादा पसंद करन

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जीवन शैली में बदलाव जरूरी वरना पालकों को परिणाम भोगना होगा! विश्व आज विकट परिस्थियों से जूझ रहा है. कोराना महामारी से लेकर भूकंप, बाढ और अपराध की बढ़ती हुई घटनाओं ने इससे निपटने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी कुदरत ने अभिभावकों पर डाल दी है .आज अगर उन्होंने अपने बच्चों में आ

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निजता के अधिकार को और कितनी बार चुनौती ?फिर एक बार फोन टेपिंग सुर्खियों में र्है. पूरे भारत में लगभग 6000 से ज्यादा फोन रोज टैप होते हैं. अक्सर नेताओं, बड़े लोगों और कभी- कभी फिल्मी सितारों के फोन भी टैप हो जाते हैं. बहुत से लोगों ने फोन टेपिंग की खबर सुनी है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर यह क

वृद्धाश्रम.....पहले तो होते नहीं थे क्यूंकि पहले के वृद्ध खुद को वृद्ध समझते थे। आज के वृद्ध पहले जैसे नहीं रहे।पहले वृद्ध अपने नाती पोतों में व्यस्त होते थे।आज के बुजुर्ग फोन टीवी और लैपटॉप में।बदलाव आया है सबमें पहले के बुजुरगों को बच्चो की हर एक्टिविटी से मतलब होता था आज के बुज़ुर्ग को सिर्फ फोन

एक चींटी दूसरी चींटी से ..कहाँँ जा रही हो बहन .पहली चींटी दूूसरी से बोली..क्या बताऊ बहन हाथी मर गई है उसी को अपना खून देने जा रही हूँँ.

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कैसी तेरी खुदगर्जी ना धुप चुने ना छांव कैसी तेरी खुदगर्जी किसी ठोर टीके ना पाऊँ कैसी तेरी खुदगर्जी ना धुप चुने ना छांव कैसी तेरी खुदगर्जी किसी ठोर टीके ना पाऊँ Read More Full Lyrics Click Here

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आज आप पूरे देश के प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के दूसरे कार्य काल की 1 वर्ष की उपलब्धियों के समाचार पढ़ और देख रहे होंगे। प्रधानमंत्री ने स्वयं अपने दूसरे कार्यकाल के एक वर्ष में किए गए कार्यों की जानकारी बड़े ही शालीन तरीके से

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