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hrishumail

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कलियाँ है क्यूँ मुरझाई सीये कलियाँ है क्यूँ मुरझाई सी,है गर्म उदासी छायीसी| बचपन है पर कोई खेल नहीं,येचमन है कोई जेल नहीं|मन किंचित भी मुस्कातानहीं,सब पाकर भी कुछ पाता नहीं| याद है मुझको-कुछ फूल हैं और कुछ काँटेहैं,जो तक़दीर ने बाँटे हैं| गर काँटे मुझको मिल जाएँ,तोकलि

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