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hindi articles, stories and books related to jaaye


लघुकथाबोझक्या पुरूष, क्या स्त्री, क्या बच्चे , सब के सब आधुनिकता के घोड़े पर सवार फैशन की दौड़ में भाग रहे थे और वह किसी उजबक की तरह ताक रहा था । गाँव से आया वह पढा लिखा आदमी, भूल से , एक भव्य माल में घुस आया था और अब ठगा-सा खड़ा था।उसकी नजर एक आदमी पर पड़ी जो एक स्टील के बेंच पर बैठा था। उसके पास

इतिहास ज्वलंत हो जाएदेश का इतिहास ज्वलंत हो जाए,आतंकवाद का जब अंत हो जाए।मनाएं हम सब मिल कर खुशियां,फिर तो हर ऋतु बसंत हो जाए।

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