जुबा चुप क्यो?आपकी खामोश जुबा ने ,महफ़िल की नज़रों में चोर बना दिया|ताकते रहे आपकी नज़रों को, कभी तो इधर उठेगी, कुछ कहेंगी|ता उम्र साथ देने का वादा करती रही, खुशियों के फूल भरती रही|खुशियों के फूलो को संभाला बहुत, आपकी एक मुस्कान के लिए|साथ जीने मरने के वादे करते रहे तुमसे, रोज प्यार पाने के लिए |लड़ते
जबलपुर कैंट में हमें तीन कमरे का क्वार्टर मिला हुआ था. जैसा की आम तौर पर छावनी में होता है ऐसे चार क्वार्टरों की एक लम्बी सी बैरक थी. इस बैरक का लम्बा कॉमन बरांडा था जो बच्चों के खेल ने के काम आता था. बरांडे के आगे चार बगीचे थे जिनमें सब्ज