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जल

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तापमान में वृद्धि के कारण,ग्लेशियर सारे पिघल रहे हैं,पर्यावरण हो रहा असन्तुलित,दुष्परिणाम सब भुगत रहे हैं।प्रकाश छोड़ आग बरसाने को,सूरज जैसे खड़ा अड़ा,डर लगता है पिघल न जाऊँ,मैं भी इक दिन खड़ा-खड़ा।गर्मी क

हम सभी जानते है की जल हमारे दैनिक जीवन के सभी कार्यों के लिए उपयोग में आने वाला संसाधन है । जिसके बिना हम एक दिन भी जीवित नहीं रह सकते, क्योंकि जल हमें पीने से लेकर खाना बनाने ,कपड़ा धोने , बर्तन साफ

"जल" मैं जल हूं तुम हो मेघ ताक सकते हो स्वयं को मुझमें निर्निमेष तुम सनेहपूरित श्यामवर्ण मैं श्यामा चंचल प्रति क्षण न चूक जाना,न चुक जाना मैं हूं तुम्हारी प्रतिकृति इसे भूल न जाना सन्ध्या गो

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धरती का दोहन ‘विश्व जल दिवस ‘डॉ शोभा भारद्वाज शीतल निर्मल मीठा जल मन एवं आत्मा दोनों को तृप्त कर देता है चार दिन तक पूर्वी दिल्ली ने पानी की भयंकर किल्लत देखी कारण अंडर ग्राउंड पाईप में लीकेज था आस पास के घरों के अंडरग्राउंड में सीलन आने लगी पाईप की मरम्मत का काम तेजी से चला इस बीच पानी का हा-ह

अंत सही,।ता उम्र आँग की लपटों में जलते रहे, अंत मे राख़ हो गए।ता उम्र पानी की लहरों में नहाते रहे, अंत में जल प्रवाह हो गए। ता उम्र मिट्टी में खेलते रहे अंत हुआ, उसी में दफन हो गए।ता उम्र हवाए घेरती रही, अंत मे वह खुद छोड़कर चली गई।पुनर्जन्म की कहानियां तो अतीत से भी परे होती है।इस जन्म का हमे कुछ पता

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जल से ज़ालिमा गीत: इस गीत को सुनें जो सोनू निगम की आवाज़ में है। इस गीत की संगीत रचना सोनू निगम और बिक्रम घोष द्वारा बनाई गई है। उन्होंने अपने गीत भी लिखे हैं।जल (Jal )ज़ालिम सांग की लिरिक्स (Lyrics Of Zaalima )ज़ालिम तेरे तेरे बिना ज़ालिमरूठा रूठा है यह आसमानसूखी सूखी ज़मीनज़ालिम तेरे मेरे तेरे दरमि

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'जल' एक 2014 हिंदी फिल्म है जिसमें पुरब कोहली, तनिष्ठ चटर्जी, कीर्ति कुलहरि, सैदाह जुल्स, मुकुल देव, यशपाल शर्मा, रवि गोसेन और राहुल सिंह की प्रमुख भूमिकाएं हैं। हमारे पास एक गीत गीत, एक वीडियो गीत और जल का एक ट्रेलर है। सोनू निगम और बिक्रम घोष ने अपना संगीत बना लिया है। सोनू निगम ने इन गीतों को गाय

सभी को अपने पुरे जीवन में अधिक से अधिक पेड लगाने चाहिए।जिससे आने वाला भविष्य सुरक्षित होगा

जीवन पानी का बुलबुला, पानी के मोल मत समझो, जीवन का हैं दूसरा नाम , प्रकृति का अमूल्य उपहार, जीवनदायिनी तरल, पानी की तरह मत बहाओ, पूज्यनीय हमारे हुए अनुभवी, घाट- घाट का पानी पीकर, जिन्हें हम, पिन्डा पानी देते, तलवे धो- धोकर हम पीते, ×---×----×-----×---×--× सामाजिक प्राणी है, जल में रहकर, मगर

मापनी-२१२२ २१२२ २१२२ २१२“मुक्तक”समांत- आने पदांत – के लिएघिर गए जलती शमा में मन मनाने के लिए। उड़ सके क्या पर बिना फिर दिल लगाने के लिए। राख़ कहती जल बनी हूँ ख्वाइसें इम्तहान में- देख लो बिखरी पड़ी हूँ पथ बताने के लिए॥-१ समांत- आम पदांत – अबकौन किसका मानता है देखते अंजाम सब

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वर्ष 2018 के “विश्वजल दिवस” उत्सव के लिए विषय "जल के लिए प्रकृति के आधार पर समाधान"होगा ।‘जलसंकट आर्थिक विकास व स्थायित्व के लियेबड़ा खतरा है और जलवायु परिवर्तन समस्या को और बढ़ा रहा है ।’ (जिम योंग किम, अध्यक्ष-विश्व बैंक)“पानी पूरी प्

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पृथ्वी है तो हम है ... आइए, इसे बचाने का प्रयास करें । इस कार्य को हमारे अलावा कोई अन्य नहीं कर सकता है ।

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'वेदामृत' के अन्‍तर्गत वेदों के मन्‍त्रों से ज्ञानवर्धन करेंगे। ऋग्वेद के दसवें मंडल के नौवें सूक्त के दूसरे मन्त्र की चर्चा करेंगे जिसमें जल की महत्ता वर्णित है! Video को LIKE और हमारे CHANNEL को SUBSCRIBE करना ना भूले ! वीडियो नीचे लिखे लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं।

फूल बनकर खिलोएक कमल की तरह ।कर दो शीतल सभी को विधु की तरह ।आरजू है हमारी मेरे भाइयों ।जब मिलो तो मिलो दोस्तों की तरह ।। था अभी पंक में एक पंकज खिला ।पंक बोला कि इससे हमें क्या मिला ।बोला पंकज कि तुझमें मेरी जान है ।दोस्त तुझसे ही मेरी ये पहचान है ।नाम तेरा बढ़े इस गगन की तरह ।फूल बनकर खिलो एक कमल की

पाकिस्तानी हैं भारतीय गुजरा कलमाटी थी भारतीय और भारतीय थे फलएक समान थे भारतीय हवा, जल और स्थल सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय घर-बाहर और भारतीय घाटवर्तमान में जो कहलाते हैं पाकिस्तानी खाट, बाट, हाट सूझवान बनाओ भगवान उनको सूझवान बनाओवो भी थे कभी भारतीय तन, मन और धनथे वो भी कभी भ

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