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कबूतर

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दिगपाल, मेरे बचपन का साथी था, दोस्त था या यूँ कहे कि वो मेरा मुण्डू(बेबी सिटर) था. दरअसल दिगपाल हमारी मौसी का नौकर था, उसकी उम्र कितनी थी मैं नहीं जानता पर शायद 12 या 14 साल का रहा होगा. पहाड़ी था या नेपाली ये भी मुझे नहीं पता

कल से ही देख रहा हु ! कुछ दिनों पहले ही हमारे गोदाम में एक खम्बे पर एक कबूतरी ने अंडे दिए थेजो अब बच्चो में परिवर्तित हो चुके है ! चूँकि वे एक बंद गोदाम में जन्मे है इसलिए बाहरी वातावरण की तुलना में उन्हें उड़ने का अभ्यस्त होने में जरुरत से ज्यादा समय लगना है ,बच्चे माँ की आधी बराबरी इतने बड़े तो हो ह

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