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किसान

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निश्चय ही किसान देश का कर्णधार है,निःसंदेह वो भारत का सबल आधार है,अथक परिश्रम करके करता वो अन्न बौछार है,माना उसका देश पर बहुत उपकार है।किसानों की समस्या सुनना सरकार का सरोकार है,हर समस्या का समाधान ह

भारत -   मेरे सम्मान का सबसे महान शब्द  जहां कहीं भी प्रयोग किया जाए  बाकी सभी शब्द अर्थहीन हो जाते हैं  इस शब्द के अर्थ  खेतों के उन बेटों में हैं  जो आज भी वृक्षों की परछाइयों से  वक्त मापत

भूरे बदरा पानी लाते,काले बदरा जी डरवाते।आसमान में छाई है घटा,छम-छम हो रही है बरखा।बौछारों ने दी है तपन मिटा,प्रकृति बिखेर रही है छटा।धुली-धुली ये फूल-पत्तियाँ,खिलने वाली हैं ये कलियाँ।खेत पर है खड़ा कि

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किसान आन्दोलन बनाम महत्वकांक्षा डॉ शोभा भारद्वाज देश को आजादी मिली लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी राशन में लाल या सफेद गेहूं ( चोकर जैसा ) वह भी लंबी कतारों में लग कर मिलता था यह गेहूं अमेरिका और कनाडा से आता .1962 एवं 1965 में भारत को दो युद्ध पहला चीन के साथ दूस

आज किसान नेताओं की बाढ़ आ गयी है।ऐसे हीबिना जनाधार नेताओं ने राजनीती में उतरने व् खुद को चमकानेके लिए राजधानी के चारो ओर डेरा डाला है।इससे न केवल आम लोगों की नाक में दम कररखा हैƖ आंदोलन से नित्य दिनचर्या , रोजगार बुरी तरह से प्रभावित हुएहै। सड़क यातायात प्रभावित हुआहै। किसानों की फल

टिकरी बॉर्डर से।इतिहास गवाह है, राणा भी काफिले में आया था।मरने के बाद आज भी उनका काफिला आबाद है।देश की उन तमाम सड़को के किनारे बसें है।जिन्हें लोग बैलगाड़ी वाले लोहार कहते है।वह प्राचीन इतिहास को जिंदा किए हुए अपनी जिंदा दिली से जिए जा रहे है। उस वक्त की सरकार उन्हें बा

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जब से सेक्सी और प्रसिद्द विदेशी बालाओं ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया। बल्लू सींग का जोश बढ़ गया। उनमें रेहाना नाम की गायिका है। उसका गाना तो समझ में न आया। किन्त

मान लो सरकारदुनियाँ का हर दर्द भुलाया बिसराया जा सकता है।बस अपने दर्द न दे वरना ये दर्द पत्थरों के वार से, ज्यादा घाव देते है, कोमल जिंदगी को नासूर बना देते है।इसमें कोई भी मलहम काम नही करता सिवा आपसी प्यार के। कहने को तो कहते है लोग, जलने से पहले धुँआ उठता जरूर है। लेकिन जब जिंदा लाशें जलती है तो उ

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वर्त्तमान में दिल्ली की सीमा पर चल रहे पंजाब के किसान आंदोलन की जो रूप रेखा है वह एक आदर्श हो सकती है। लम्बे संघर्ष की रणनीतिक तैयारी गजब की है। रसद सप्लाई। थोड़े थोड़े दिन बाद लोगों का घर लौटना और नये लोगो का आकर जुड़ना। मौसम के हिसाब से कपड़ों का इंतजाम। मेडिकल सुविधाएँ

माटी को संवारने वाला अन्न का दाता काली सड़कों पर अपने हक के लिए अड़ा है। खुले रूप से मिले सबको ताजा ताजा, पैकेटों में बंद होकर बिकने वाली चीजें, उनके हक और न्याय के लिए अड़ा है। लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था नारा... "जय जवान जय किसान" आज दोनों को एक दूसरे के सामने खड़ा देखा है। राजनिति ने बेटियां,

किसान आंदोलन के 22 दिन हो गये है। लेकिन अभी तक दोनों पक्षों के अंतिम निष्कर्ष व निर्णय पर पंहुच न सकने के कारण स्थिति रबड़ के समान खिंच कर वापिस न आने के कारण पूर्वतः दो विपरीत छोरों पर (दिल्ली सीमा के दोनों पार) रुकी हुई है। लेकिन इसका यह मतलब कदापि नहीं है कि इन 21 दिनों में कुछ भी सकारात्मक व नका

किसान हीरा है।किसान हीरा है नगीना है। कभी किसी को लूट कर खाया नही।जमीन जोतकर गाजर मूली शकरकन्द चुकन्दर बोता है।फिर कही जाकर उन्हें खोद लादकर मंडी सुबह लाता है।वह जमीन के अंदर बाहर की समझ से फसल उगाता है।जो बाहर ऊगे उसको काटे चुने जो अंदर उसे उखाड़ते है।धान गेहूँ जौ बाजरा सरसों। तिल तीली अलसी सूखा कर,

हम धरती पुत्र है।सरकार ने मुँह फेर लिया, किसानों ने बॉर्डर पर डेरा डाल लिया।डेरा डाल, किसानों ने ललकारा है। अब धरती पुत्र ने जवानों का कर विरोध, सरकार से कानून वापस लेने का पैगाम भेजा है। मान लो किसानों का कहना मान लो। फसल को बड़ा कर किसान काटना जानता है।ये तो सरकार है, इसको भी जड़ से गाजर मूली की तरह

दिल्ली कूच न करो, दिल्ली के सारे बॉर्डर सील करोजय जवान, जय किसान एक दूसरे के आमने सामने।पहले किसान बाप, बेटा जवान, हक में आमने सामने।बदल गई नज़ीरे, जो कभी मन में उमंग भरती रही।पहले के आंदोलनों से नेता निकले, आज आंदोलन नेता के लिए।देश जहाँ था वही है, और टुकड़ों में बट गया। इंसान की सोच पहले भी ज़हर उगला

बाढ ग्रस्त क्षेत्रों के किसान अपनाएं यह तरीका , होगा फायदाबाढ ग्रस्त क्षेत्र – जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्राकृतिक आपदाओं और कृषि का हमेशा से ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है । कभी तेज आंधी तो कभी तेज बरसात कभी ओलावृष्टि तो कभी सूखा ये तमाम प्राकृतिक आपदाएं फसल को नष्ट कर देती हैं लेकिन बाढ़ एक ऐसी आपदा

भारत में किसानों के लिए रोज कोई ना कोई योजना की घोषणा होती रहती है। सबसे बड़ी समस्या होती है कि किसानों तक योजनाओं की जानकारी ही नहीं पहुंच पाती, क्योंकि जिनके पास जानकारी उपलब्ध होती है वहां किसान नहीं पहुंच पाते और जहां किसान होते हैं वहां जानकारी नहीं पहुंच पाती। तो किसानो और जानकारी के बीच के फा

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असम में इस आग से 1.5 किलोमीटर क्षेत्र को राख बना दिया है ।यह आग अब बुझने का नाम नही ले रही है ।इस आग की वजह से 7000 लोग बेघर हो चुके है । 35 घर पुरी तरह राख हो चुके हैं।असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने गुरुवार को गुवाहाटी से करीब 550 किलोमीटर पूर्व तिनसुकिया जिले में ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) क

टमाटर में अब एक नए वायरस ने प्रवेश किया है. इससे टमाटर की खेती में पैदा होने वाले टमाटर के रंग और आकार में अंतर आ रहा है. इसे किसान तिरंगा वायरस कह रहे हैं. इस वायरस की वजह से टमाटर में खड्ढे हो रहे हैं और अंदर से काला होकर सड़ने लगता है. टमाटर पर पीले चिट्टे होने की वजह से अब उसकी खेती पर संकट मंडरा

लाल बहादुर शास्त्री, जिनका प्रधानमंत्री काल बहुत कम रहा, पर जनता के दिलो-दिमाग पर बहुत गहरा असर छोड़ गया. कल तक उनके विरोधी भी आज उनकी बात करते है, उनको महान बताते है. उनके दिए नारे " जय जवान, जय किसान " की बात करते है. आज की राजनीति ने उस नारे में से जय किसान निकाल दिया अ

तने दरख्तों के शाखों से ही झुकने लगेपानी नहीं बचा कुँए सूखने लगे।मौलवी के सताए हुए इंसान यहाँहै ग़ौर कि अल्लाह पे ही थूकने लगे।ये मुमक़िन न था कि आम आएंगे कभीबोए गए थे कांटें सो उगने लगे।वो गा रहा था बदहालियाँ किसानों कीअचानक ही मंत्रियों सर दुखने लगे।बढ़ते हुए काफ़िलें मजहबों

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