शकुन मिलता है।शाम सड़क में खड़ी काम से, हरी थकी औरत। निहारती अपने घर जाने वाली हरी लाल बस को।देख उसे वह भागती कि चढ़ जाऊंगी अपनी बस में।बस भी मजबूर, चढ़ाती वह भी गिनती की सवारी।जहाँ में फैली थी, कोरोना की बीमारी संग महामारी।चढ़ जाती जो वह औरत बस में एक शकुन सा पाती।ले गुलाबी टिकट हो उन्मुक्त सफर में अपनी
जेब कतरियों से सावधान डॉ शोभा भारद्वाज ‘मुफ्त का चन्दन घिस मेरे नन्दन’ चुनावों का दौर है जनता जनार्धन के लिएतरह-तरह के प्रलोभनों की बरसात हो रही है हमारे सत्तारूढ़ सीएम साहब ने पहले से ही दिल्लीकी आधी वोटर महिलाओं के लिए मुफ्त डीटीसी बस सवारी का तोहफा दे दिया बस पर चढ़ते हीकंडकटर टिकट लेने वालों को भू