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नक्काशी

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कविताओं की नक्काशी से✒️कर बैठा प्रेम दुबारा मैं, कविताओं की नक्काशी सेचिड़ियों की आहट में लिपटी, फूलों की मधुर उबासी से।संयम से बात बनी किसकी,किसकी नीयत स्वच्छंद हुई?दुनियादारी में डूब मराचर्चा उसकी भी चंद हुई।कौतुक दिखलाने आया है, बस एक मदारी काशी सेचिड़ियों की आहट में लिपटी, फूलों की मधुर उबासी से।ज

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