पीर बढ़ावे जब चोट करें अपने सखी साखा, चाकरी करें ना मिले, मान स्वाभिमान से ज्यादा। खुद की समझ से बढ़ावे पैर, नासमझी में उलझ समझदार से, कौन चाकर कमावे बैर ... अनपढ़ माली पाल पोस कर बगिया, अनपढ़ हाली खेत जोत कर अन्न उपजाए बढ़िया... पढ़ें लिखे बाबू साहेब पेन की नोंक से कुचले, ज़मीनी दुनिया... पढ़ें