नशीली आंखो से वो जब हमें देखते हैं, हम घबरा के अपनी ऑंखें झुका लेते हैं, कैसे मिलाए हम उन आँखों से आँखें, सुना है व
लिखना भी तो, क्या लिखना है? कहना भी तो, क्या कहना है? खलिश है रहती, हर पल मन में, मिल भी ले तो, क्या कहना है? खत लिखता हूँ, लिख लेता हूँ, और उसे फिर, मोड़ माडकर, बक्शे में कहीं, रख दे
मोहब्बत का महीनामोहब्बत में जान क़ुर्बान कर गये !वो अपनी पूरी ज़िंदगी, देश के नाम कर गये !नहीं सोचा बच्चों का , पत्नी को बेसहारा छोड़ गये !कहते हैं मोहब्बत इसे, अंतिम साँस तक लड़ गये !ह
प्रेम है बहुत महान ये है मानवता की पहचान प्रेम ही है जो दुश्मन को दोस्त बनाते हैं प्रेम ही है जो पशुओं को भी मित्र बनाते हैं प्रेम ही है जो सबों को आपस में बांधे रखता है प्रेम ही है जो सबों को बि
भंवरे और कली के संबध जैसी होती है दोस्ती।सुख और दुख में सहारा बन निखरती है दोस्ती।।मैने दोस्ती की स्वाद चखा, बड़ा मीठा होता है। मैने दोस्ती का अनुभव किया , यहां सुखों का सागर होता है।।सच्चाई और व
धीरे-धीरे तारे आसमान में डूबते जा रहे थे। चारों तरफ सूर्य की किरणों का प्रकाश फैलने लगा था। सभी लोग सूर्योदय के साथ ही अपनी सुहानी सुबह का स्वागत कर रहे थे। खुशबू की मां नहाने धोने में व्यस्त हो
मैं हेमलता ,अंत में अपना परिचय देने के लिए माफ़ी लेकिन अगर आप को मेरा लेख अच्छा लगा तभी आप मेरे बारे में जानना चाहेंगे नहीं तो पहले परिचय देने पर भी आप परिचय नहीं देखेंगे ! मै एक हीलर हूं कृपया मेर
बिंदु , मुक्ता ,राकेश और हेमलता दोस्त हैं ! वह सब हर महीने एक दिन किसी के घर पर मिलते हैं ! आज सब मुक्ता के घर मिलने वाले हैं ! सब उसके घर आतें हैं सब खुश हैं वहां आतें हैं तो देखते हैं की मुक्त
"म्याऊँ... म्याऊँ.... बिल्लो रानी कहो तो अभी जान दे दूं...."- डब्बू बिल्ला पूसी बिल्ली को मनाने के लिए यह गीत गा रहा था, लेकिन पूसी पर गीत का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था...
बरसों से सहेजा ख्वाब,सूखे पत्ते-सा उड़ जायेगा। सोचा नहीं था, इक आंधी के झौंके-से,दो हंसों का जोड़ा बिछुड़ जायेगा...! आह ! इंदु.. तुम भी ना ! ऐसे, ऐसे कौन बिछुड़ता
उसका चेहरा श्यामवर्ण है, लेकिन जब वह आती है; तो उसे लगता है कि वह गौरवर्ण हुआ जा रहा है। उसकी आंखें छोटे आकार की हैं, लेकिन जब वह आती है; तो उसे लगता है कि उसकी आंखें बड़ी ह
हजारों-लाखों बूंदें नहीं भिगा पाईं मुझे, लेकिन उसके पलकों से गिरी एक बूंद ने पूरी तरह भिगा दिया था मुझे....
मुझे भरोसा है अपने ईष्ट देव पर। वो एक दिन जरूर वापस आयेंगे। कुमाऊँ रेजिमेंट में भर्ती हुए अभी उनको पूरे ढाई साल भी नहीं हुए हैं और आर्मी वाले कहते हैं कि गायब हो गये...
मेरे प्यार को तुने पैरों तले रौंद दियापर तेरे पग धुरी को भी मैं प्रसाद के तरह स्वीकार कियाकिस तरह लोगे मेरे प्यार की परीक्षाभूखे रखकर, अग्नि में जलाकर या जहर पीलाकरचाहे जिस तरह ले लो मेरे प्यार की परी
मेरा कष्ट बढ़ाकर तुमको आता है आनंद मुझे छटपटाता देखकर तेरा पुलकित होता मन दिल तड़पाकर क्या चाहते हो दिल दुखाकर क्या चाहते हो मुझको रुलाकर क्या चाहते हो क्या चाहते हो
निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्
वियोग श्रृंगार की मार्मिक प्रेमकथा....