पता नहीं चल पाया आज भी , देश के छुपे गद्दारों का। कहां से आई आर डी एक्स,क्या राज था उन खुद्दारों का ।जो दीमक बन के चाट रहे , विश्वासघात करते हैं देश में। कुछ देश के दुश्मन छुपे हुए
वो चला गया... मेरे कमरे में आया था कुछ पल सोफे पर बैठे बैठे ही आराम किया... फिर भरी आँखें और भारी आवाज से कहने लगा अपनी दर्द भरी दास्तान... मैं निस्तब्ध रही... फिर उसने एक सिगरेट सुलगाई, और उ
उठा चंद्रहास कर संहार राम का तूँ, देख रावण, तूँ जीत गया। अनुराग की लिखी है यह पंक्तियाँ, आज के परिपेक्ष्य में बिल्कुल सत्य। कितने प्रकार के भावों का समावेश है इन पंक्तियों में। दुःख है आज के परिवेश
~~बनारस~~ घाट जग चुकी है। एक जादू सा प्रतीत होता है, अंधकार को चीरता हुआ सूरज, एक नवीन ऊर्जा और जीवन को लेकर उदयाचल की ओर से आगमन करता है। गंगा की लहरें किनारों से टकराकर, पुनः पुनः परावर्तित
वो एक बहुत ही पुराना बरगद का पेड़ था जिसके बगल से होकर रेलवे लाइन गुजरती है। उससे सटा हुआ रास्ता कच्चा व कीचड़ भरा होने के कारण आदमियों की भीड़ से दूर रहता है। जब से बारहवीं पास करके विद्यालय छोड़ा तब से
वो अस्सी-नब्बे की बातें, कभी कभार याद आ जाती है और याद आते ही अपने अंदर समां लेती है गर्मियों की छुट्टियो में छत पर कतार से सोना सोने से पहले बड़ो का बाल्टी-मग से छत पर छिड़काव करना बीच बीच
ऑस्ट्रेलिया में एक छोटा सा गांव कूबर पेडी हैं। यहां के अधिकांश लोग अंडरग्राउंड घरों में रहते हैं। यहां ओपल की कई खदानें हैं। अधिकांश अंडरग्राउंड सिस्टम खुदाई के मकसद से ही बनाए गए थे। खदान के मज
कुछ वर्षों पहले जयपुर गया था । क्योंकि यात्रा पूर्व-निर्धारित न होकर अकस्मात् थी इसलिए कोई भी होटल बुक नहीं किया हुआ था । रेलवे स्टेशन पर बैठ कर मोबाइल पर किसी होटल की अच्छी लोकेशन देखकर बुक करने
1. **प्रारंभिक परीक्षा**: - अंग्रेजी भाषा: रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन, क्लोज़ टेस्ट, पैरा जंबल्स, रिक्त स्थान भरें, त्रुटि पहचानना आदि। - मात्रात्मक योग्यता: सरलीकरण, संख्या श्रृंखला, डे
नंगल डैम रेलवे स्टेशन रेलवे स्टेशन पहुचते ही टिकट निकाला तो होश फाख्ता पर्स तो बैग में है नहीं ओह !ये क्या? "सर प्लीज़ क्या ट्रैन 5 मिनट ट्रैन रुक सकती है हड़बड़ाते हुए मैंने गार्ड से कहा " सर, मैं फ
यात्रा : हाथरस जंक्शन अच्छा मैं जाऊँ, जरा पूछताछ पर पता कै आय रहों हूँ कि ट्रेन को सही समय क्या है ? मेरी प्रिय सहेली के पति जिन्हे हम प्यार से हीरो कहते हैं ने मेरा समान मुझे पकड़ते हुए कहा नहीं,
निर्मल वर्मा अपने उपन्यास वे दिन में कहते हैं कि "हम उम्र भर कुछ पाने की उम्मीद में कई दरवाजों को खटखटाते रहते हैं और एक दिन किसी ऐसे दरवाजे से हमें कोई भीतर खींच लेता है, जिसे हमने कभी खटखटाया नहीं थ
बड़ी बेगानी सी होती हैं ये मोहब्बत कभी फसना नही इसमें दिल तो दिल कारोबार भी ले डूबती है
बड़ी बेगानी सी होती हैं ये मोहब्बत कभी फसना नही इसमें दिल तो दिल कारोबार भी ले डूबती है
बड़ी बेगानी सी होती हैं ये मोहब्बत कभी फसना नही इसमें दिल तो दिल कारोबार भी ले डूबती है
आसमा के आने से जाने तक। मां की आंखो में उसका चेहरा, काम से घर लौटे कदमों की आहट कानों में समा रहे थे। वह काम से नही लौटी, यह खबर पूरे पड़ोस में फैल गई। पड़ोस में अफरा तफरी, हम उम्र लड़कियों
रात गुजर गई लोरी में, रात गुजर गई लोरी में, वह लोरी अभी बाकी है। तेरे फन के गुलाम हम, उसे बताना अभी बाकी है। करवटों से सिकुड़ी चादर को, झाड़ना अभी बाकी है। बिखरी हुई जुल्फों को, कंघे से सुलझाना अभ
अबनिन्द्रनाथ टैगोर, एक प्रसिद्ध भारतीय कलाकार और बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट के संकल्पक, ने आधुनिक भारतीय कला स्तर को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1871 में पैदा हुए, उन्होंने प्रसिद्ध टैगोर परिवार
अशापुरना देवी, बंगाल की एक महिला लेखिका, ने अपनी उदात्त साहित्यिकता के साथ महिलाओं के मुक्ति के पक्षधर और समर्थनकर्ता के रूप में प्रकाशित होने के रूप में प्रमुख योगदान किया। वह उत्तर कोलकाता के एक अत्
1880 में, भारत में ब्रिटिश शासन के शिखर पर, रुकया सखावत हुसैन, जिन्हें बेगम रुकया के नाम से भी जाना जाता है, ने एक छोटे लेकिन मायनेदार जीवन जिया। बंगाली लेखिका और क्रियाशील, उन्हें अक्सर बंगाल की प्रथ