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shayri

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जिस्म से रुह तक उतर सी गई आज मुझको मधु चढ़ सी गईरातभर   थकन   महसूस  ही  नही,सुबह देखा तो फिर से उतर सी गईतूने मुझ पर ये कैसा जादू टोना किया,जो  पी&nbs

आजकल वक्त बर्बाद बहुत कर रहा हूं मै

चलो एक दूसरे से फ़ासला बढ़ाया जाए बग़ैर आंसुओं के उम्र भर रोया जाए ऐसा नहीं कि किसी और से नहि मिलता दिल जैसे मिला तुमसे किसी और से कैसे मिलाया जाए तसल्ली तो की थी मगर समझता ही नहीं दिल को कि

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दिल से दिल न मिलाया तुमने करम मेरा येही सही मेरे दोस्त ,"रंजन" का हाथ हमेशा मिलेगा तुमको जब समझो मांग लेना !https://ghazalsofghalib.comhttps://sahityasangeet.com

वो भीगी बरसात ओर जाड़े की सर्द रात,वो चाय की टपरी ओर तुम रहो मेरे साथभला इससे भी ज्यादा ओर क्या मांगू रब से,,जब हो कड़क चाय और मेरे हाथ मे तुम्हारा हाथ

गमज़दा रात है बेवफा ए उल्फ़त भी है और तन्हाई है दीवानगी सी लगती है बस वीरानगी सी छाई है  - रविंदर विज 

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