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स्त्री

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कैफे जो दिशा की ज़िन्दगी बन चूका है उसकी शुरुआत भी इतनी आसान नहीं थी | दिशा किसी ज़माने में पत्रकार यानि जर्नलिस्ट हुआ करती थी पर उसे अपना जॉब बहुत बोरिंग लगता था | एक दिन हिम्मत जुटा  कर दिशा ने अ

दिल्ली शहर के एक शानदार अपार्टमेंट है-आइडियल होम्स, इस अपार्टमेंट में करीब 500-600 परिवार रहते हैं। आइडियल होम्स के बाईं तरफ एक प्यारा-सा रेस्टोरेंट है जिसका नाम है - द कैफे ।   सुबह के 6: 00 बजे

स्त्री को जो मर्द खिलौना समझते हैं ना,वो शायद भूल जाते हैं उन्हें जन्मा भी एक स्त्री ने ही ।स्त्री की पूजा देवता भी करते हैं, कुछ तुच्छ मनुष्य हर बार स्त्री की तौहीन करने को आतुर रहते हैं।स्त्री

बाहर से जब थक कर घर के लोग आए  तो हाल-चाल उनका पूछती हूं किसी दिन कोई मेहमान आ जाएं तो सेवा उसकी करती हूं  बच्चें जब छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाए  तो मैं ही उनको मनाती हूं  रात-रात भर जाग-जाग कर  अक्सर

मैंने देखा है
गु

*जय श्रीमन्नारायण**स्त्रीयों को गुरू क्यूं नहीं बनाना चाहिये , और संतो को क्यूं स्त्रीयों से दूर रहना चाहिये ,, शास्त्र से*:-------- "" प्रश्न -- हमने गुरूसे कण्ठी तो लेली , पर उनमें श्रद्धा नहीं रही तो क्या कंठी उनको वापस कर दें ?"" उत्तर--कंठी वापस करने के लिए हम कभी समर्थन

हम लाए नए जीवन को और कराए स्तनपानहम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समानहम किसी आदमी से अब डरना नहीं चाहतेहम अपनी मां के गर्भ में अब मरना नहीं चाहतेहम भी करना चाहेंगे अपने खर्चों का भुगतानहम हैं नारी शक्ति और हम चाहे हक समानहम भी आगे बढ़ेंगे तो काम आगे बढ़ेगाहम आपके साथ मिल जाए तो देश का नाम आगे बढ़ेगा

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पुरुष का प्रेम समुंदर सा होता है..गहरा, अथाह..पर वेगपूर्ण लहर के समान उतावला। हर बार तट तक आता है, स्त्री को खींचने, स्त्री शांत है मंथन करती है, पहले ख़ुद को बचाती है इस प्रेम के वेग से.. झट से साथ मे नहीं बहती। पर जब देखती है लहर को उसी वेग से बार बार आते तो समर्पित हो जाती है समुंदर में गहराई तक,

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(जो देश चांदतारों, मंगल पर पहुंच कर इठला रहे हैं,विज्ञान के नए-नए आविष्कार कर देश के लिए खुशियां समेट रहे हैं,उन की तुलना में हम कहां हैं ? पढ़ कर आप कीआंखें खुली की खुली रह जाएंगी ।)अधिकतरभारतीय जानते ही नहीं कि, संस्कृति है क्या ? जिसे वे अपनी संस्कृति बता रहेहैं, क

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8 मार्च को आप भीअंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की तैयारियों में लगे होंगे ।अब तक कुछ लोगों को मैसेज भी भेज दिया होगा और कुछ बहुत ख़ास लोगों को फ़ोन करकेबधाई भी दे दी होगी ।लेकिन क्या आप ये जानते हैं किअंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है और ये मनाना कब शुरू हु

वक़्त का विप्लव सड़क पर प्रसव राजधानी में पथरीला ज़मीर कराहती बेघर नारी झेलती जनवरी की ठण्ड और प्रसव-पीर प्रसवोपराँत जच्चा-बच्चा 18 घँटे तड़पे सड़क पर ज़माने से लड़ने पहुँचाये गये अस्पताल के बिस्तर परहालात प्रतिकूल फिर भी नहीं टूटी साँसेंकरतीं वक़्त से दो-दो हाथ जिजीविषा की फाँसें जब एनजीओ उठाते हैं दीन

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फिल्म निर्माता अमर कौशिक की डरावनी कॉमेडी 'स्त्री' जिसमे राजकुमार राव और श

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आकांक्षा श्रीवास्तव। .....?????"बहू बेटी जैसी चाहिए???? क्या हुआ आप भी भौचक्के रह गए न ,भइया आजकल अलग अलग तरह कि डिमांड शुरू हो गयी है। यह सुनते मेरे मन मे भी लाखों प्रश्न उमड़ते बादलों की तरह गरजने लगे कि ये कैसी डिमांड??? बहू- बेटी जैसी.???आख़िर एक स्त्री पर इतना बड़ा प्रहार क्यों???? आख़िर एक बहू को

आकांक्षा श्रीवास्तव। धागा बुनाती माँ...,बुनाती है सपनो की केसरी , समझ न पाओ मैं किसको बताऊ मैं"...बन्द कोठरी से अचानक सिसकने की दबी मध्म आवाज बाहर आने लगती हैं। कुछ छण बाद एक बार फिर मध्म आवाज बुदबुदाते हुए निकलती है..,"बेटो को देती है महल अटरिया ,बेटी को देती परदेश र

बहुत देख ली आडंबरी दुनिया के झरोखों से बहुत उकेर लिए मुझे कहानी क़िस्सागोई में लद गए वो दिन, कैद थी परम्पराओं के पिंजरे में भटकती थी अपने आपको तलाशने में उलझती थी, अपने सवालों के जबाव ढूँढने में तमन्ना थी बंद मुट्ठी के सपनों को पूरा करने की उतावली,आतुर हकीकत की दुनिया जीने की दासता की जंजीरों को तो

समाचार पढ़ा सरकारी अस्पताल में एक नवजात को नर्स ने हीटर के पास सुलाया. राजस्थान से आयी इस खबर ने अंतर्मन को झकझोर दिया नवजात शिशु के परिजनों से नर्स को इनाम न मिला

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स्त्री ईश्वर की एक खूबसूरत कलाकृति ! यूँ तो समस्त संसार एवं प्रकृति ईश्वर की बेहतरीन रचना है किन्तु स्त्री उसकी अनूठी रचना है , उसके दिल के बेहद करीब । इसीलिए तो उसने उसे उन शक्तियों से लैस करके इस धरती पर भेजा जो स्वयं उसके पास हैं मसलन प्रेम एवं ममता से भरा ह्दय ,

प्रेमचंद और स्त्री प्रेमचंद स्त्रियों को आधुनिक षिक्षा देने के विरोध थे और स्त्रियों की षिक्षा के सम्बंध में उनका दृस्टिकोण संकीर्णतावादी है,लेकिन यह भी स्पश्ट हैकि उनका विरोध पाष्चात्प नारी के आदर्ष को अपनाने के लिए प्रेरित करने वाली षिक्षा के प्रति है,मुझे खेेद है,हमारी

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