shabd-logo

थकन

hindi articles, stories and books related to thakan-74950


क्यों रहता हैबिना बात व्यथितऔर मानता हैखुद को अभिशप्त- बाधितसुख गर सुख दे पातेतो तू सही में सुखी होतापर यहाँ तो मूक वेदना की धार बहती है अनवरत निरन्तर तेरे भाल पर पता नही अंदर से बाहर को या बाहर से अंदर कोक्षरित देह क्षरित मनदिनोंदिन बुढाता तन चल शून्य होया खो जा शून्

संबंधित टैग्स

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए