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vyanjan

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पप्पू बुरी तरह घबरा गया था, हड़बड़ी मैं किसी और का आर्डर मिस्टर बवेजा को दे आया था, बवेजा का गुस्सा वो पहले देख चुका था, नमक कम होने पर ही वो कई बार खाना फ़ेंक चुका था, कंपकंपाता वो डाबा मालिक रामलाल के पीछे जाकर खड़ा हो गया, राम लाल ने उसे इसतरह खड़ा देखा तो डाँटते हुए बोला अबे ओये पप्या यहाँ खड़ा-खड़

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लद गए वो दिन जब आदमी से हाल पूछो तो बड़ी मायूसी से कह देता था, 'बस, चल रही है दाल-रोटी किसी तरह'। अब धोखे से भी ये जुमला मुंह से निकल जाए तो कौन जाने दूसरे ही दिन डाका पड़ जाए। ये मज़ाक नहीं, बल्कि आज की हक़ीक़त है। 20 रूपए किलो आटा और 160 रूपए किलो दाल का भाव उस आदमी को ज़रूर रटा होगा जो सुबह से शाम तक म

गिरिजा नंद झाअब ना खाने के दौरान किचकिच होगी और ना ही तैयार करने में आनकानी की जाएगी। आखि़र दो मिनट में तैयार होने वाली मैगी बाजार में दाखिल हो चुकी है। महीनों का इंतज़ार लोगों को थकाया जरूर लेकिन, लोग खाना पकाते-पकाते पक पाते, उससे पहले मैगी बाजार में आ गई। हालांकि, नेस्ले की मैगी से पहले रामदेव बा

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