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युद्ध

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सोवियत रूस ने अपनी मिसाइलें क्यूबा में तैनात कर दी थीं। इसकी वजह से तेरह दिन के लिए (16 – 28 अक्टूबर 1962) तक जो तनाव रहा उसे “क्यूबन मिसाइल क्राइसिस” कहा जाता है। ये वो बहाना था, जो सुनाकर सोवियत रूस ने नेहरु को मदद भेजने से इनकार कर दिया था। नेहरु शायद इसी मदद के भरोसे बैठे थे जब चीन ने हमला किया

दौर चुनावी युद्धों का✒️जड़वत, सारे प्रश्न खड़े थेउत्तर भाँति-भाँति चिल्लाते,वहशीपन देखा अपनों काप्रत्युत्तर में शोर मचाते।सिर पर चढ़कर बोल रहा थावह दौर चुनावी युद्धों का,आखेटक बनकर घूम रहेजो प्रणतपाल थे, गिद्धों का।बड़े खिलाड़ी थे प्रत्याशीसबकी अपनी ही थाती थी,बातें दूजे की, एक पक्ष कोअंतर्मन तक दहलाती थ

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आज से ठीक 100 साल पहले। तारीख 11 नवंबर 1918। इतिहास में दर्ज वह तारीख है जब चार साल तक दुनिया को हिलाकर रख देने वाला प्रथम विश्व युद्ध आखिर थम चुका था। जब भारत में समुद्र यात्रा को भी अशुभ माना जाता था, उस वक्त कुछ हजार या 2-4 लाख नहीं, बल्कि 11 लाख भारतीय सैनिक प्रथम विश

अपनी नाक़ामियाबी को हम दुसरो पर थोप कर अपनी कमियों पर पर्दा डाल लेते है. और अपनी कामियाबियों पर खुश हो लेते है. आज कहाँ है से हम नावाकिफ़ बने रहते है. जो गुज़र गया उसे भूल जा, जो है हो रहा उसे जान ले. तेरे सर पे जो कभी ताज था, वो उस वक्त का कमाल था,

अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध के आखिरी दिनों में जापान पर एटम बम गिराया था। इस दिन 1 9 45 में, जापान पर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा नागासाकी में दूसरा परमाणु बम गिरा दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप अंततः जाप

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कश्मीर स्थित उरी में आतंकियों के माध्यम से एक बार फिर पाकिस्तान ने हमारे 17 निर्दोष जवानों को मौत के मुंह में धकेल दिया है. सारा देश क्रोध से उबल रहा है, तो सरकार सहित तमाम मीडिया संस्थान घटना का विभिन्न स्तर पर लेखा-जोखा कर रहे हैं. इस हमले के बाद लगातार मैंने भी तमाम भारतीय नागरिकों की तरह विभिन्न

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