पिंजरे का पंछी - सेठ जी और तोता की प्रेरणा दायक कहानीएक सेठ जी और सेठानी जी हमेशा भजन - कीर्तन में जाते थे । सेठ जी के घर एक पिंजरे में तोता पाल रखा हुआ था । तोता एक दिन पूछता हैं कि, सेठजी आप ह
फूल और तितलीएक तितली मायूस सी बैठी हुई थी । पास ही से एक और तितली उड़ती हुई आई । उसे उदास देखकर रुक गई और बोली - क्या हुआ ? उदास क्यों इतनी लग रही हो ?वह बोली - मैं एक फूल के पास रोज जाती थी । हमारी आ
सत्य व असत्यअनिल और सुनिल दोनों बहुत ही घनिष्ठ मित्र व सहपाठी भी थे। वे कक्षा - सात में पढ़ते थे। अनिल एक बुद्धिमान लड़का था। वह सत्य में विश्वास करता था। वह कभी असत्य नहीं बोलता था, जबकि सुनिल असत्य
मस्तिष्क में उपजते आभा सम, वीचारों को छिन्न करती हो, प्रेम से बंधे सुंदर बन्धन को, तुम आकर भिन्न करती हो। तू कुशाग्र बुद्धि की अवरोधक, हर दुःख का तुम सुंदर सपना, तेरे ही आ जाने से जग में, खोती चि
गुरु का स्थान तो कबीरदास जी के इन दोहों से ही स्पष्ट हो जाती है:- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय? बलिहारी गुरु आपकी, गोविन्द दियो बताय। वैसे तो इस अखिल ब्रम्हांड के सबसे बड़े गुरु शिव हैं। हर
उठा चंद्रहास कर संहार राम का तूँ, देख रावण, तूँ जीत गया। अनुराग की लिखी है यह पंक्तियाँ, आज के परिपेक्ष्य में बिल्कुल सत्य। कितने प्रकार के भावों का समावेश है इन पंक्तियों में। दुःख है आज के परिवेश
~~बनारस~~ घाट जग चुकी है। एक जादू सा प्रतीत होता है, अंधकार को चीरता हुआ सूरज, एक नवीन ऊर्जा और जीवन को लेकर उदयाचल की ओर से आगमन करता है। गंगा की लहरें किनारों से टकराकर, पुनः पुनः परावर्तित
रमन एक गरीब व्यक्ति था उसकी पत्नी और दो बच्चों के साथ एक बूढी मां भी रहती थी उसका घर एक झोपड़ी का था रामपुर गांव का रहने वाला था उसे गांव में सभी लोगों के पास बहुत ज्यादा जायदाद था लेकिन केवल रमन अके
आत्म ज्ञान एक परिचय- दोस्तों हममें से बहुत से लोगों ने यह बात अवश्य सुनी होगी कि मनुष्य जन्म का उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करके मोक्ष प्राप्ति करना है। मनुष्य जीवन में अनेकों संकट और कठिनाइयां पाई जा
आदिकवि भगवान् वाल्मीकि जी ने अपने महाकाव्य रामायण में जिस राम का वर्णन किया है, वह सिर्फ एक महापुरुष है। उन्होंने राम के जीवन के माध्यम से समाज को मर्यादा,आदर्श और सदगुणों के पराकाष्ठा का दर्शन करवा
रात गुजर गई लोरी में, रात गुजर गई लोरी में, वह लोरी अभी बाकी है। तेरे फन के गुलाम हम, उसे बताना अभी बाकी है। करवटों से सिकुड़ी चादर को, झाड़ना अभी बाकी है। बिखरी हुई जुल्फों को, कंघे से सुलझाना अभ
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई आपस में हम सब भाई भाई। जन्म लिया तो सीने पर राम था क्या तुम्ही को इबादत मिली थी क्या कमर पर कृपाण था क्या या गले पर क्रास निशां था क्यो दिखाते हो चतुराई आपस म
भजन मंडली ने एक भजन छेड़ रखा था | रात मे खेत में पानी लगाते रामू के कानों में शब्द किसी रस की भांति प्रवेश कर रहे थे | " कहत कबीर सुन है साधो पाप लगे यहाँ आध
अंधविश्वास कोई भी ऐसा विश्वास या अभ्यास है जो गैर-चिकित्सकों द्वारा तर्कहीन या अलौकिक माना जाता है, जिसे भाग्य या जादू, कथित अलौकिक प्रभाव, या अज्ञात के डर से जिम्मेदार ठहराया जाता है। यह आमतौर पर भाग
अन्धकार पर प्रकाश की विजयएक गाँव में एक डकैत रहता था जो हमेशा डकैती करता था उसका एक बेटा था जो पढ़ाई - लिखाई करता था और बहुत प्रखर बुद्धि का था,पढ़ाई, पूरी करने के बाद काम करने की तलाश करने के लिए निक
क्या जानना पर्वतों को कब पूजा जाएगा जब जरूरत होगी उनको तब पूछा जाएगा। रहो मौन ,स्थिर, शांत चित्त शिवाय सा होकर जब विषपान का समय होगा तब पू
जैसा मन में सोचोगे ,वैसा ही पाओगे।कोई अंधेरे में शांति पाता है, कोई भूत खोजते जाओगे।।बाहर के अंधेरे से ,मन का अंधेरा खतरनाक है। जो रहे मन के अंधेरे में,वह शर्मनाक है।अंधेरे से डरो मत , हिम्मत कर
अज्ञान है वे लोग जो आंखें होते हुए भी अंधे हैं।अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे,कभी बिना पंख उड़ते परिंदें है।अन्तर्मन में झांककर देखो ,तुम अंतर्यामी बन जाओगे।असलियत की जिंदगी से ,तुम सदा के लिए रूबरू हो ज
हम सभी मनुष्य है और इस पृथ्वी पर निवासरत है ।हमारे अलावा करोड़ो जीव जंतु का भी वास है । इसमे सर्वाधिक बुद्धिमान मानव ही है । बुद्धि के विकास के साथ हमने विज्ञान की मदद से रहन सहन,दुख,असुरक्षा पर विजय
नमस्कार मेरा नाम मनीष है और मेरी उम्र 30 साल है मेरी पुस्तक मेरी जिंदगी एक युद्ध के द्वारा मैं अपने साथ हुए इंसीडेंट को सभी के साथ बांटना चाहता हूं और मेरी कोशिश है मेरी कहानी सुनकर सबको कुछ सीखने को