shabd-logo

अन्य

hindi articles, stories and books related to anya


featured image

सुख की खातिर मैं भटकी थी यहां-वहां पर हे शिव-शंकर सुख तो तेरे में साथ में जब भी नाम तुम्हारा जपती हूँ तो सुख सुनती हूँ अपनी ही आवाज़ में | सुकून की ख़ातिर भटकी थी

रंग बिखेरते फूलएक कस्बे में एक सामान्य परिवार निवास करता था। परिवार में पति हरि प्रसाद और पत्नी नारायणी और दो बेटे थे - बड़ा बेटा सुरेश और छोटा बेटा मनोज। दोनों की विद्यालय जाने की उम्र हो गयी थी। दोनो

featured image

हे ईश्वर ! आपने जो मुझे दिया उसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया | आज ये कविता जो मैंने लिखी है मेरा लक्ष्य सिर्फ एक ही  है | मेरे मन में छपे और इस पन्ने पर लिखे अक्षरों को आप पढ़

featured image

बड़ी अजीब है ये दुनिया अजीब-सी है दुनियादारी आधी दुनिया में फैली है भयंकर स्वार्थ की बीमारी स्वार्थ तो है ही भ्रम भी है अनंत काल तक जीने का खूबसूरत सा वहम भी है लोभ म

featured image

मेरी चाह ऐसे जीवन की है जैसा जीवन मेरे आँगन के पेड़ की अथाह पत्तियों का है … हवाएं चाहें गर्म हों या हों सर्द मदमस्त झूमती रहती है कड़ाके की धुप हो या हो बेतहाशा बारिश 

featured image

मैं लेखक वही लिखने को पन्ने भी वही पर मैंने अपने कलम की स्याही का रंग बदल दिया पहले जो कलम कोरे पन्नों पर कल्पनाएं सजाती थीं  अब उन्हीं पन्नों पर यथार

featured image

सुबह गुज़र गई है दिन अभी ढला नहीं और शाम आई नहीं तजुर्बा हमें भी तो कोई कम नहीं पर बुजुर्गों वाली वो खास बात अभी आई नहीं बीते चुके दौर ने इतना दिखा दिया&nbs

featured image

धक्-धक् करती रेल हम जीवन अपनी पटरी है पटरी पर गाड़ी अपनी बस चलती रहती है कभी ये बाएं मुड़ती है कभी ये दाएं मुड़ती है पर गाड़ी तो पटरी पर बस चलती ही रहती है कभी लहर

प्रेम ( पति - पत्नी का ) एक साहूकार जी थे उनके घर में एक गरीब आदमी काम करता था । जिसका नाम था । मोहन लाल जैसे ही मोहन लाल के फ़ोन की घंटी बजी मोहन लाल डर गया । तब साहूकार जी ने पूछ लिया ?"मोहन लाल

छलित एहसास मैं अक्सर ही रातों को चौक कर गहरी निंद्रा से जाग जाती हूंऔर मन में शुरू हो जाता है एक अंतर्द्वंद उस क्षण मैं सोचती हूं की आखिर क्यों मुझे अक्सर मध्य रात्रि गए ये कैसीअनु

उत्कृष्ट प्रेमजब प्रेमी, प्रेमिकाएं प्रेम में पड़ते है तो बहुत अद्भुत अनुभूति होती है। किंतु जब प्रेम में बिछड़ते है तो अत्यंत पीड़ा झेलनी पड़ती है क्या असल में प्रेम इतना उत्कृष्ट होता

विश्वास की पक्की डोर जिसे हम प्रेम समझने की भूल कर बैठे थे दरसल वो तो किसी और के लिए महज वक्त गुजारने का जरिया भर थाक्यों सही कहा ना ? वक्त ही तो गुजारना था ना तुम्हे और कमबख्

प्रेम का स्थान रिक्त रखूंगीना मांगूंगी कभी स्थान रुक्मणि का, ना हृदय में राधा बनकर रहूंगी,मै बनुगी तुम्हारे प्रेम में बस मीरा, सर्वदा तुम्हारे प्रेम की प्रतीक्षा करूंगी, अभिलाषा नहीं सद

फूल और तितलीएक तितली मायूस सी बैठी हुई थी । पास ही से एक और तितली उड़ती हुई आई । उसे उदास देखकर रुक गई और बोली - क्या हुआ ? उदास क्यों इतनी लग रही हो ?वह बोली - मैं एक फूल के पास रोज जाती थी । हमारी आ

मोबाइल ( उपहार का डिब्बा ) एक समय की बात है । सुबह विद्यालय जाते समय टप्पू को एक उपहार का डिब्बा सड़क के किनारे पर लावारिस मिला था । उस उपहार के डिब्बे में एक नया मोबाइल रखा हुआ था । उस डिब्बे को

एक़ अक्ष सा दिखता है, एक़ ही शख़्स सा दिखता है, जहाँ जाता हूँ, लोग मुझमें आपको देखतें हैं, आपकी पहचान बताते हैं, तुम पापा जैसे दिखते हो, वैसे ही बात करते हो, वैसे ही

featured image

सर्व देवस्य स्तुति रहो भवानी साथ तुम जब तक हो पूर्ण ये काज, नील पदम् व्रत ले लिया कीजो सुफल सो काज। श्रीमुख श्री गणेश जी विरजो कलम में आय, रहो सहाय नाथ तुम ज्यों व्यास को भये सहाय। जय माँ व

ये कदम रुके नहीं,  अब कभी थके नहीं, आसमान की परिक्रमा ही  लक्ष्य है।  @नील पदम्  

कल की जैसे बात है,  नारी कमजोर जात है, पर कौन अब कहेगा,  ये अशक्त है।  @नील पदम्  

कट गईं हैं बेड़ियाँ,  सब हटी हैं रूढ़ियाँ, अब पुरुषों से आगे  मातृ-शक्ति है।   @नील पदम्  

किताब पढ़िए