कल्पना सपना से अबोध नहीं थी। कल्पना ने सपना को अपनी बातों की खनक से हमेशा धीर के सामने रखा। हालांकि वह दोनों के साथ नहीं होती थी लेकिन वह दोनों से कभी दूर भी नहीं थी। सपना धीरज का अर्धांग है और अर्धांग सांस, आस, विश्वास, से जुड़ा होता है। यह सच भी कभी झूठ नहीं हो सकता। लेकिन औरत भाषा और भाव में पु