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आंखे

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कुछ चली कुछ रुकी शायदमुझसे कुछ कह रही थीवो यादो की तेज़ हवामेरे लिये ही बह रही थीमैं रोकती भी तो केसे उसेवो लहर जो दिल में उठी थीगहरी इतनी की सागर भी समा जाये तूफ़ान ऐसा कि सब उडा ले जायेमेरी आंखे जो अश्रू से भरी थी बारिश के पानी सी तेज बरसी थींबस उज़डे गुलिस्तां क

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