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आकांक्षा

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बड़ी उम्मेदे थी बड़े होने के। सोचा था ज़िन्दगी आसान हो जाएगी, चीज़ें समझ आने लगेंगी। पर क्या पता ये भी एक धोखा होगा। स्कूल ख़तम करके सब सही हो जाएगा। कॉलेज के तीन साल फिर तो और कुछ करना ही नहीं पड़ेगा। सब झूठ। फरेब हुआ है हमारे साथ। अब क्या करे। ये तो किसी ने बताया ही नहीं की ये सब तो बस तैयारी थी। असली ज

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