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आक्रोश

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क्या कहें किससे कहें? देखता हूँ गगन में, अम्बार लगता जा रहा है l कर्म के व्यापार का, विस्तार जगता जा रहा है ll कर्म करके फल न मांगो, स्वयं ही मिल जायेगा l डूबती धरती गगन भी, प्राण भी हिल जायेगा ll  

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वरिष्‍ठो के आक्रोश ने पार्टी में सोच पैदा कीएक साल से ददक रही चिंगारी अब आग का रूप लेने लगीक्‍या आपस में लडकर पार्टी दो फाड होगी?क्‍या देश से कांग्रेस का अस्तित्‍व मिटाने का सपना साकार होने वाला है? “सोनिया जी, पार्टी को महज इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाने से बचा लें: परिव

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