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मुश्किलों से कह दो की उलझे ना हम से,हमे हर हालात मैं जीने का हूनर आता है!

मेरी आंखों में यही हद से ज्यादा बेशुमार हैतेरा ही इश्क़ तेरा ही दर्द तेरा ही इंतजार है

आओ पास बैठो तुम्हारी सारी शिकायतें सुनेंगे हम,यूँ दूर - दूर रहने से एक दिन बहुत दूरियाँ बढ़ जाएंगी... 

मैने मुस्कुरा कर जीत लिया दर्द अपना लोग मुझे दर्द देकर भी मुस्कुरा ना सके

इतना कमजोर हो गए हम तेरी जुदाई से... एक दिन मच्छर उठा के ले गया चारपाई से... 

“अगली बार मिलो तो हाथ मत मिलाना,तुम थाम नहीं पाओगे और हम छोड़ नहीं पाएंगे।”

धोखा दे जाती है अक्सर मासूम चेहरे की चमक...हर चमकते काँच के टुकड़े को हीरा नहीं कहते...!

प्यार हो या परिंदा,दोनों को आज़ाद छोड़ दो,अगर लौट आया तो तुम्हारा,और अगर न लौटा तो वह तुम्हारा था ही नहीं कभी

तुमको चाहने की वजह कुछ भी नही...इश्क की फितरत है बे वजह होना... 

सच्ची मोहब्बत की हसरत किसे नहीं होती   मगर हर किसी की किस्मत ऐसी नहीं होती      कोई एक होता है जो समा जाता है दिल में           हर किसी से तो&nbs

सुबह - सुबह तुम्हारे चेहरे पर स्माइल लाऊंगातुम लेटी रहना मै चाय बनाऊंगा

तू शौक से कर सितम जितने भी तेरे बस में हैं... मैं भी तो देखूं कैसे कैसे तीर तेरे तरकश में हैं... 

शब्दों का प्रयोग सावधानी से करिए साहब, ये परवरिश का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करते हैं ...!(कृपया शालीनता से टिप्पणी करें और गलत भाषा का चयन करके अपनी गलत मानसिकता प्रकट न करें)-दिनेश कुमार कीर

रात मे जुगनू की झगमगाहट,आसमाँ मे तारों की झिलमिलाहट,ठंडी वादियों में हवाओं की सरसराहट,इन सबसे भी खूबसूरत हैआपके चेहरे की मुस्कुराहट...-दिनेश कुमार कीर

"आधा ख्वाब आधा इश्क अधूरी सी बंदगी", "मेरी हो पर मेरी नहीं कैसी है ये जिंदगी"!

सिर झुका कर उसकी हर बातें सुनी जाती है,पसंदीदा स्त्री से बहस नहीं की जाती है...-दिनेश कुमार कीर

किसी ने पूछा चाय से इतना इश्क क्यों,मैंने कहा आधा दर्द तो वो ही चुरा लेती है।-दिनेश कुमार कीर

वो कौन था जो दिन के उजाले में खो गया, ये चांद किस को ढूंढने निकला है शाम से...!-दिनेश कुमार कीर

मंजिल की तलाश में चले कितने हैं पैर ये कांटों से छिले कितने हैं  कामयाबी के इस शोर के पीछेजीत हार के सिलसिले कितने हैं-दिनेश कुमार कीर

ख्वाब सिमटे जो मुट्ठी में छूट ही जाएंगे एक दिन बनकर बैठे जो अपने रूठ ही जाएंगे एक दिनमोहब्बत ख्वाब सी उसकी वादे कांच से नाज़ुक हिफाजत कितनी भी कर लूं टूट ही जाएंगे एक दिन

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