जीवन में खुश रहने का एक सीधा सा मंत्र है और वो ये कि आपकी उम्मीद स्वयं से होनी चाहिए किसी और से नहीं। परीक्षा फल से वही बच्चा घबराता है जो स्वयं से नहीं अपितु निरीक्षक से उम्मीद लगाए रहता है। स्
मैं भी छूना चाहता हूँ उस नीले आकाश को.… जो मुझे ऊपर से देख रहा है, अपनी और आकर्षित कर रहा है, मानों मुझे चिढ़ा रहा हो, और मैं यहाँ खड़ा होकर… उसके हर रंग निहार रहा हूँ, ईर्ष्या भाव से नज़रें टिका कर, उसके सारे रंग देख रहा हूँ, अनेक द्वंद मेरे मन में..... कैसे पहुँचु मैं उसके पास एक बार, वो भी इठला कर,
उम्मीदे बैतुलउलूम थी जिनसे, बैतुलख़ला उनसे सौग़ात मिली. (आलिम)
Mujhe Ishq Hai Tujhi Se Meri Jaan-e-zindagaani Lyrics of Ummeed : Mujhe Ishq Hai Tujhi Se Meri Jaan-e-zindagaani is a beautiful hindi song from 1971 bollywood film Ummeed. This song is composed by Ravi. Mohammad Rafi has sung this song. Its lyrics are written by Shakeel Badayuni. उम्मीद (Ummeed )मुझ
उमेमेड 1 9 71 की हिंदी फिल्म है। हमारे पास उममेड का एक गीत गीत है। रवि ने अपना संगीत बना लिया है। मोहम्मद रफी ने इन गीतों को गाया है जबकि शकील बदायुनी ने अपने गीत लिखे हैं।इस फिल्म के गाने मुझे इश्क़ है तुझी से मेरी जान-इ-ज़िंदगानी - Music - RaviLyrics - Shakeel BadayuniSinger - Mohammad RafiYear - 19
हो आँखों में भले आँसू, लबों को मुस्कुराना है,यहाँ सदियों से जीवन का,यही बेरंग फ़साना है,है मन में सिसकियाँ गहरी,दिलों में दर्द का आलम,मगर हालात के मारे को महफ़िल भी सजाना है,नहीं मंजिल है नजरों में, बहुत ही दूर जाना है,थके क़दमों को साहस को,हर इक पल ही मनाना है,खुद ही गिरना-सम्भलना है,खुद ही को कोसना अ
तेरी चाहत के तोहफे हैं,जो इन आँखों से बहते हैं,नहीं तू संग फ़क्त इनको तो मेरे पास रहने दे,महज़ आंसू बता इनको न तू अपमान कर इनका,मेरी उल्फत के मोती हैं, तू इनको ख़ास रहने दे,ज़माना, वक़्त और मजबूरियां मैं सब समझता हूँ,तू जा बेशक, तू मेरे संग तेरा एहसास रहने देन मुझसे छीन ये उम्मीद तू मेरा नहीं होगा,भले झू
उम्मीद की एक किरणहर बारदिल के दरवाजे परजाने किस झरोखे सेकुछ यूँ झांकती हैके कुछ पल के लिए ही सहीचेहरे पे ख़ुशी की झलकसाफ दिखाई देती है,मन खुश होता है,दिल खुश होता है,फिर जाने कैसेचिंताओं की परछाईउस किरण के सामनेआ जाती हैसब दूर अँधेरा छा जाता हैदिल डूब जाता है।धीरे धीरे लड़खड़ाती सीफिर गुम हो जाती हैवो
मैं वापिस आऊंगा - सूरज बड़त्या जब समूची कायनातऔर पूरी सयानात की फ़ौजखाकी निक्कर बदल पेंट पहन आपकी खिलाफत को उठ-बैठ करती-फिरती होअफगानी-फ़रमानी फिजाओं के जंगल मेंभेडिये मनु-माफिक दहाड़ी-हुंकार भरे....आदमखोर आत्माएं, इंसानी शक्लों में सरे-राह, क़त्ल-गाह खोद रहे होंसुनहले सपनों की केसरिया-दरियाबाजू खोल बुला