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कर्तव्य

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  •  कर्तत्व के पथ पर चलने वाले काटो की पर्वाह  कहा करते है काटे उनका रास्त

सैनिक तो सैनिक है ।
युद्ध हो या ना हो ।
सैनिक तो सैनिक है ।

*जय श्रीमन्नारायण*🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳*‼️आपकी जिज्ञासाएं?? हमारे समाधान‼️*💐💐💐💐💐💐💐💐*भाग ३ :-**गतांक से आगे:--------*शिष्य का गुरु के प्रति एक कर्तव्य है और इसी प्रकार गुरु का भी शिष्य के प्रति एक कर्तव्य है शिष्य का मतलब है अनुशासन और पूर्ण समर्पण इसी प्रकार गुरु का भी तात्पर्

*🦚 जय श्रीमन्नारायण🦚*🌼🌞🌼🌞🌼🌞🌼🌞 *‼️ गुरु ही सफलता का स्रोत ‼️**भाग ११*🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌲☘️🌿*गतांक से आगे:-------* *यस्मान् महेश्वरः साक्षात कृत्वा मानुष विग्रहं।**कृपया गुरुरूपेण मग्नाः प्रोद्धरति प्रजा:।।**अर्थात:--*स्वयं परमेश्वर मानव मूर्ति धारण करके कृपया पूर्वक गुरु रूप में माया में म

*जय श्रीमन्नारायण*🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 *गुरु ही सफलता का स्रोत**भाग:-----३*🌲🌿🌲🌿🌲🌿🌲🌿 *गतांक से आगे*---- *क्या गुरु का भी ऋण होता है*--------तो उत्तर आएगा हां शिष्य अपने गुरु का ऋण कभी उतार ही नहीं सकता अपने माता-पिता का ऋण उतार सकता है अपने स्वजनों का ऋण उतार सकता है क्योंकि उनसे उसके देश

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*इस संसार में अनेक प्रकार के देवी - देवताओं की पूजा मनुष्य नित्य करता है परंतु उनके दर्शन करने का सौभाग्य उसे जीवन भर नहीं प्राप्त हो पाता | इस धरती पर जीवित देवी - देवता भी हैं जिनकी कृपा - कटाक्ष से मनुष्य को जीवन प्राप्त होता है ये प्रत्यक्ष देवी - देवता हैं मनुष्य के माता - पिता | बिना माता - पि

बस यार बहुत हो गया, दो साल से ज्यादा हो गये, अब नही सहा जाता, अब लगता है तलाक देना ही पड़ेगा, किन्तु बच्चों के बारे में सोचकर असमंजस में पड़ जाता हूँ। इस तरह बोलकर विनय चुप हो गया और उसकी आंखे भर आयी।यह कहानी है मेरे प्रिय मित्र विनय की। विनय और रीमा का विवाह १० साल पहले धूम-धाम से हुआ था I दोनों कॉले

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*संसार में अब तक अनेक विद्वान महापुरुष हुए हैं जिन्होंने अपने क्रिया कलापों से संसार का कल्याण करने का ही प्रयास किया है ! उनके चरित्रों का अनुसरण करके मनुष्य स्वयं पूजित होता रहा है | महापुरुषों के बताये गये मार्गों का अनुसरण करके , उनके लिखे ग्रंथों का पठन - पाठन करके ही विद्वान बनते आये महापुरुषो

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पृथ्वी है तो हम है ... आइए, इसे बचाने का प्रयास करें । इस कार्य को हमारे अलावा कोई अन्य नहीं कर सकता है ।

अपना 'कर्तव्य' देखें, 'अधिकार' नहीं! सदभावी मानव बन्धुओं ! आजकल सर्वत्र यही देखा जा रहा है कि सभी कर्मचारी, अधिकारी, सामाजिक संस्थायें, राजनीतिक नेता गण आदि आदि प्राय: सभी के सभी ही अपने अधिकारों के माँग में

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