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कहानियां

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संत कबीर गांव के बाहर झोपड़ी बनाकर अपने पुत्र कमाल  के साथ रहते थे। उनका रोज का नियम था...नदी में स्नान करके गांव के सभी मंदिरों में जल चढ़ाकर दोपहर बाद भजन में बैठते और शाम को देर से घर लौटते। वह अप

किसी गांव में एक महिला बहुत धार्मिक स्वभाव वाली थी। वह साधु-संन्यासियों का सम्मान करती थी। प्रतिदिन पूजा-पाठ करने के बाद भी उसका मन  अशांत ही रहता था। एक दिन उसके गांव में प्रसिद्ध संन्यासी आए। संत घ

सृजन.....! ज़िंदगी है ,बनती- बिगड़ती हसरतें , जो पूरी न होने पर भी नए सृजन की ओर इशारा करती हैं। सुबह की ओस की वे बूँदें , जो चंचलता से पत्तों पर थिरकती मिट्टी में समां जाती हैं , तो कहीं सूखे पत्तों- सी चरमराती ज़िंदगी, नया बीज पाकर फ़िर सेखिलखिलाती है। बचपन के किस्से ,कहानियों से निकल ,ज़िंदगी जैसे

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पुस्तक: ग्यारहवीं –A के लड़के लेखक: गौरव सोलंकी वर्ष: दूसरा संस्करण, अप्रैल 2018प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., नई दिल्ली.मूल्य : रू 125, पृष्ठ 144********************“ग्यारहवीं–A के लड़के” गौरव सोलंकी की छह कहानियों का संग्रह है जो व

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उस समय जोग्शवरी रेल्वे स्टेशन मे प्लेटफार्म के आगे की तरफ से उसके कुछ मध्य भाग तक कम रोशनी हुआ क

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ये घटना सन् २०१३ की है, मैं तब मुँबई के Posh Area लोखंडवाला के पास

आज अखबार में विज्ञापन छपा था, विज्ञापन के साथ ही पूछताछ के एक सम्पर्क अंक (नम्बर) भी,नवनीत सुबह सुबह चाय की चुस्की ले अखबार पढ़ रहा, अचानक उसकी निगाह उस विज्ञापन पर गयी । चाय का कप टेबल पर रख कर दोनों हाथों में अखबार को ले विज्ञापन पढ़ने लगा । "कुशल इंजीनियर की की आवश्यकता वेतन अनुभव व योग्यता के आधार

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एक दिन विध्यालय के कुछ छात्रों ने पिकनिक पर जाने की योजना बनाई | और तय किया की सभी अपने-अपने घर से खाने का सामान लेकर आएंगे |इनमें से जीतू बहुत गरीब था,जब जीतू घर पहुंचा तो उसने अपनी माँ को सब कुछ बता दिया |की मुझे पिकनिक पर जाना है और सभी दोस्त अपने घर से कुछ न कुछ खाने के सामान साथ लेकर आएंगे |बच्

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शहर के अस्पताल में अजय का उपचार चलते-चलते 15-16 दिन हो गएँ थे|लेकिन उसकी तबीयत में कोई सुधार देखने को मिल रहा था| आईसीयू वार्ड के सामने परेशान दीपक लगातार इधर से उधर चक्कर पर चक्कर लगा रहे थे |कभी बेचैनी में आसमान की तरफ दोनों हाथ जोड़ कर भगवान से अपने बेटे की जिन्दगी की भ

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