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कही

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कभी खुला किसी के सामने,तो कभी बंद हो गयामेरा दिल एक अलमारी सा हो गयाहज़ारों तरह की किताबें छुपी हैं मेरे दिल मेकभी हंसी मज़ाक ,तो कभी तन्हाईकभी रहस्यमय परिस्थितियों मे कोई बात समझ ना आईकभी खुला किसी के सामने तो कभी बंद हो गयामेरा दिल एक

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प्रयागराज (इलाहबाद) में मकर संक्र्राति से ‘‘अर्धकुंभ’’ प्रारंभहुआ है। लेकिन इस अर्धकुंभ को केन्द्रीय सरकार से लेकर उत्तर प्रदेश सरकार व समस्तमीडिया चाहे वह प्रिंट हो या इलेक्ट्रानिक इसे कुंभया महा!कुंभ कहकर महिमा-मंडित कर रहे हैं। इस ‘‘कुंभ’’ के जबरदस्तप्रचार-प्रसार के कारण ही मुझे भी यह शक हु

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