सरल को कठिन बनाना आसान है, परंतु कठिन को सरल बनाना मुश्किल, और जो कठिन को सरल बनाना जानता है, वह व्यक्ति विशेष है। – आचार्य चाणक्य
वो जो अपने परिवार से अति लगाव रखता है भय और दुख में जीता है। सभी दुखों का मुख्य कारण लगाव ही है, इसलिए खुश रहने के लिए लगाव का त्याग आवशयक है। – आचार्य चाणक्य
“जो लोगो पर कठोर से कठोर सजा को लागू करता है। वो लोगो की नजर में घिनौना बनता जाता है, जबकि नरम सजा लागू करता है। वह तुच्छ बनता है। लेकिन जो योग्य सजा को लागू करता है वह सम्माननीय कहलाता है। जिस प्र
जो ज्ञानी होता है उसे समझाया जा सकता है, जो अज्ञानी होता है उसे भी समझाया जा सकता है, परंतु जो अभिमानी होता है उसे कोई नहीं समझा सकता, उसे वक्त ही समझाता है। आचार्य चाणक्य
पत्थर तब तक सुरक्षित है जब तक वो पर्वत से जुड़ा है, पत्ता तब तक सुरक्षित है जब तक वो पेड़ से जुड़ा है और इंसान तब तक सुरक्षित है जब तक परिवार से जुड़ा है, क्योंकि परिवार से अलग होकर आजादी तो मिल जा
जिसकी आंखों में नींद है उसके पास अच्छा बिस्तर नहीं, जिसके पास अच्छा बिस्तर है उसकी आंखों में नींद नहीं, जिसके पास दया है उसके पास किसी को देने के लिए धन नहीं और जिसके पास धन है उसके मन में दया जैस
तुलसी को कभी वृक्ष न समझे, गाय को कभी पशु न समझे, और माता पिता को कभी मनुष्य न समझे , क्योंकि ये तीनों तो साक्षात भगवान का रूप है। आचार्य चाणक्य
किसी के बुरे वक्त पर हंसने की गलती मत करना, ये वक्त है चेहरे याद रखता है । आचार्य चाणक्य
जब मेहनत करने के बाद भी सपने पूरे नहीं होते, दो रास्ते बदलिए सिद्धांत नहीं, क्योंकि पेड़ भी हमेशा पत्ते बदलता है जड़ नहीं, गीता में साफ शब्दों ने लिखा है, निराश मत होना कमजोर तेरा वक्त है, तू नहीं
आप किसी के लिए चाहे अपना वजूद दाव पर लगा दो, वह तब तक आपका है जब तक आप उसके काम के हो, जिस दिन आप उसके काम के नहीं रहोगे, या कोई गलती कर दोगे, उस दिन वह आपकी सारी अच्छाई भूल कर अपनी औकात दिखा देगा
सबसे बड़ा गुरु ठोकर है, खाते जाओगे, सीखते जाओगे। संबंध इसलिए नहीं सुलझ पाते, क्योंकि लोग दूसरों की बातों में आकर अपनों से उलझ जाते हैं आचार्य चाणक्य
मंदिरों में क्यों ढूंढते हो उसे, वो तो वहाँ भी हैं, जहाँ तुम गुनाह और अपराध करते हो। जीवन की हर सुबह कुछ शर्तें लेकर आती है, और जीवन की हर शाम कुछ अनुभव देकर जाती है। आचार्य चाणक्य
नीम की जड़ में मीठा दूध डालने से नीम मीठा नहीं हो सकता, उसी प्रकार कितना भी समझाओ, दुर्जन व्यक्ति का साधु बनना मुश्किल है।
नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता है, इतिहास गवाह है कि आज तक कभी नमक में कीड़े नहीं पडे।
जीवन में तीन मंत्र आनंद में वचन मत दीजिए, क्रोध में उत्तर मत दीजिए, दुख में निर्णय मत लीजिए। दुख भोगने वाला आगे चलकर सुखी हो सकता है, लेकिन दुख देने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। जरूरत से ज
हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है, ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो, यह कड़वा सच है। – आचार्य चाणक्य
जहा आदर नहीं वहाँ जाना मत, जो सुनता नहीं उसे समझाना मत, जो पचता नहीं उसे खाना मत, और जो सत्य पर भी रूठे, उसे मनाना मत। आग में आग नहीं डालनी चाहिए, अर्थात क्रोधी व्यक्ति को अधिक क्रोध नहीं दिल
फूलों की खुशबू हवा की दिशा में ही फैलती है, लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई चारों तरफ फैलती है। कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं। दौलत, दोस्त ,पत्नी और राज्य दोबारा हासिल
एक संतुलित मन के बराबर कोई तपस्या नहीं है। संतोष के बराबर कोई खुशी नहीं है। लोभ के जैसी कोई बिमारी नहीं है। दया के जैसा कोई सदाचार नहीं है। – आचार्य चाणक्य
झुकना बहुत अच्छी बात है नम्रता की पहचान होती है, मगर आत्मसम्मान को खोकर झुकना खुद को खोने जैसा है। – आचार्य चाणक्य