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चैत्र

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नवमनवरात्र – देवी के सिद्धिदात्री तथा अन्नपूर्णा रूपों की उपासनाकल चैत्र शुक्लनवमी तिथि है – चैत्र शुक्ल नवरात्र का नवम तथा अन्तिम नवरात्र – देवी केसिद्धिदात्री रूप की उपासना – दुर्गा विसर्जन | यों तो देवी के समस्त रूप हीसिद्धिदायक हैं – यदि पूर्ण भक्ति भाव और निष्ठा पूर्वक उपासना की जाए | किन्तु जै

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अष्टमनवरात्र – देवी के महागौरी रूप की उपासना के लिए कुछ मन्त्र या श्री: स्वयं सुकृतीनाम् भवनेषु अलक्ष्मी:, पापात्मनां कृतधियांहृदयेषु बुद्धि: |श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा, तां त्वां नताः स्म परिपालय देविविश्वम् ||देवी का आठवाँ रूप है महागौरी का | माना जाता हैकि महान तपस्या करके इन्होंने अत्यन्त

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सप्तम नवरात्र – देवी केकालरात्रि रूप की उपासनात्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातंसमरमूर्धनि तेSपि हत्वा ।नीता दिवं रिपुगणाभयमप्यपास्तमस्माकमुन्मदसुरारि भवन्न्मस्ते ।।देवी का सातवाँ रूप कालरात्रि है | सबका अन्त करने वाले कालकी भी रात्रि अर्थात् विनाशिका होने के कारण इनका नाम कालरात्रि है | इस रूप में

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छठानवरात्र – देवी के कात्यायनी रूप की उपासनाविद्यासु शास्त्रेषु विवेकदीपेषुवाद्येषु वाक्येषु च का त्वदन्या |ममत्वगर्तेSतिमहान्धकारे,विभ्रामत्येतदतीव विश्वम् ||कल षष्ठी तिथि– छठा नवरात्र – समर्पित है कात्यायनी देवी की उपासना के निमित्त | देवी के इस रूपमें भी इनके चार हाथ माने जाते हैं और माना जाता है

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चतुर्थ नवरात्र – देवी के कूष्माण्डारूप की उपासनाया देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यैनमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः |कल चतुर्थनवरात्र है - चतुर्थी तिथि – माँ भगवती के कूष्माण्डा रूप की उपासना का दिन | इसदिन कूष्माण्डा देवी की पूजा अर्चना की जाती है | देवी कूष्माण्डा - सृष्टि कीआदिस्वरूपा आ

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तृतीय नवरात्र - देवी के चंद्रघंटा रूपकी उपासनादेव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या,निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां भक्त्यानताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||कल आश्विन शुक्ल तृतीया है – तीसरा नवरात्र - देवी केचन्द्रघंटा रूप की उपासना का दिन | चन्द्रःघंटायां यस्याः सा चन्द्रघंटा

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द्वितीया ब्रह्मचारिणीनवदुर्गा– द्वितीय नवरात्र - देवी के ब्रह्मचारिणी रूप की उपासनाकल चैत्र शुक्लद्वितीया – दूसरा नवरात्र – माँ भगवती के दूसरे रूप की उपासना का दिन | देवी कादूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है – ब्रह्म चारयितुं शीलं यस्याः सा ब्रह्मचारिणी – अर्थात् ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति करना जिसका स्वभाव

चैत्र नवरात्र 2020 की तिथियाँबुधवार 25 मार्चको चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से घट स्थापना तथा माँ दुर्गा केप्रथम स्वरूप “शैलपुत्री” की उपासना के साथ ही चैत्र नवरात्र या वासन्तिक नवरात्रया साम्वत्सरिक नवरात्र के रूप में माँ भवानी के नवरूपों की पूजा अर्चना आरम्भ होजाएगी और इसी के साथ आरम्भ हो जाएगा "प्रमादी"

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