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जावेदअख्तर

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बहाना ढूंढते रहते हैं कोई रोने का - जावेद अख़्तर Poem in Hindi बहाना ढूंढ़ते रहते हैं कोई रोने का बहाना ढूंढ़ते रहते हैं कोई रोने का हमें ये शौक़ है क्या आस्तीन भिगोने का अगर पलक पर है मोती तो ये नहीं काफ़ी हुनर भी चाहिए अल्फ़ाज़ में पिरोने का जो फसल ख़्वाब की तैयार है तो ये जानो कि वक़्त आ गया फिर दर्द कोई

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ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा - जावेद अख़्तर Poem in Hindi ज़िंदा हो तुम - जावेद अख़्तर दिलों में अपनी बेताबियाँ ले कर चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम नज़र में ख्वाबों की बिजलियाँ ले कर चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम हवा के झोंकों के जैसे आज़ाद रहना सीखो तुम एक दरिया के जैसे लहरों में बहना सीखो हर एक लम्हे से तुम मिलो खोल

ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा - जावेद अख़्तर Poem in Hindi दिल आखिर तू क्यूँ रोता है ?जब जब दर्द का बादल छाया जब गम का साया लहराया जब आंसूं पलकों तक आये जब ये तन्हां दिल घबराया हमे दिल को यूँ समझाया दिल आखिर तू क्यूँ रोता है?दुनिया में यूँही हो

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