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जुबा

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कब बड़े हो गए?वह दिन कितने सुन्दर, जिन्हें साथ गुजारा कभी|मिलने की चाहत हैं, मिलेंगे कही यादों भरी राहमें|बहते देखता हैं नदी की, उठती-गिरती तरंगो में |पूछता हूँ पता उन तरंगो से, जो आती हैं कही से|मिलने के अरमान सजते हैं, दिल के किसे कोने में|रखी हैं तस्वीर उनकी, बिछौने के सिरहाने में|देखकर आह भरता हू

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