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दिन

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16 अगस्त 2018 पूर्व स्वर्गीय प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जीको ‘भाव भीनी श्रद्धांजली’ डॉ शोभा भारद्वाज स्वर्गीय प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने संसद में अटल जी के पहले भाषण पर अपनी प्रतिक्रियादेते हुए कहा था एक दिन अटल देश के प्रधान मंत्री पद पर पहुंचेगे |श्री अटल जी एक ऐसे प्रधा

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एक छोटा सा सपना पूरा हुआ जब मेरा बेटा आर्यन आया तोतली सी बोली से जब तुमने मुझे पापा बुलाया दिल के सारे दर्द दूर हुए जब नन्हा चेहरा मुस्कुराया तू मेरा लाडला राजकुमार मेरा ही दर्पण कहलाया नटखट भोली सी शैतानी तेरी ,सबके मन को भाए दादा दादी देख देखकर मंद मंद मुस्काए मम्मी तेरी नजर उतारे वारी वारी जाये

जीने की चाहतलॉकडाऊन लगा कर, जान बचा लिया तुमने।जीते जी बाहर निकाल प्रवासियों को, मार दिया तुमने।घर कैद कर लोगो की, जीने की चाहत बढ़ा दिया तुमने।अपने परायों के प्यार की, औकाद दिखा दिया तुमने।शहर में प्रवासि

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अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस भारत में भी मनाया जाने लगा हैडॉ शोभा भारद्वाजभारतीय समाजिक व्यवस्था में कन्या को देवी का दर्जा देकर पूजा जाता है लेकिन समाज पुरुष प्रधान माना जाता है लड़का , आज भी गाँव में किसी के घर से थाली पीटने की आवाज आती है आस पड़ोस समझ जाता है उनके घर में पुत्र रत्न ने जन्म लिया है |पह

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26 जून 1975 देश में आपतकाल की घोषणा डॉ शोभा भारद्वाज 26 जून 1975 ,आकाशवाणी से न्यूज रीडर के बजाय तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिराजी ने आठ बजे की न्यूज में स्वयं आपतकाल की घोषणा की ‘भाईयो और बहनों राष्ट्रपति महोदय ने आपतकाल की घोषणा की है इससे आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है’ |ब

“रातरानी का दिन सराबोर”जी तो करता है कि लाज शरम हया सब कुछ छोड़कर पोखरे में जाकर कूद पड़ूँ और पल्थी मारकर उसकी तलहटी में तबतक बैठी रहूँ जबतक मेरे हाथ पैर ठिठुर न जाय। यह गर्मी है कि आग की बारिस, सुबह होते ही पसीना चूने लगता है। बाबा के लगाए हुये पेड़ जो छाया व फल भी देते थे

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राजनैतिक परिस्थितियाँ इतनी दुर्भाग्यपूर्ण हो गयी है कि देश का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हमारा अन्नदाता किसान आज विकट परिस्थितियों से जुझ रहा है कारण है की वो अपनी मेहनत का उचित मूल्य चाहता है| क्या ये सरकार इतनी नाकारा हो गयी है की अपना अधिकार मांगने वाले किसान पर गोली दाग

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अनगिनत ख्वाबों को दिल में संजोये जब वो अपने शहर से निकला था, तो उसकी आँखों में झिलमिल से सपने थे । वाबस्ता थीं उसकी हर सांसें उच्चश्रृंखल से श्वास के । दूर शहर में उसको फिर से अपने घर का शहर सजाना था । पर जिस शहर में पढ़कर कभी पलट कर न आने के बारे में सोचा था, आज फिर उसी शहर ने ही उसको दस वर्षों तक अ

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